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तपस्या  : स्त्री० [सं० तपस्+क्यङ+अ-टाप्] १. मन की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से किये जानेवाले वे कठोर और कष्टदायक आचरण तथा नियम पालन जो एकांत में रहकर किए जाते हैं। तप। २. ब्रह्मचर्य। ३. अपराध, पाप आदि के प्रायश्चित स्वरूप किया जानेवाला ऐसा आचरण जिससे शरीर को कष्ट हो। ४. इंतजार या प्रतीक्षा। स्त्री०=तपसी (मछली)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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