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शब्द का अर्थ

तिमिर  : पुं० [सं०√तिम्+किरच्] १.अँधकार। अँधेरा। २.आँखों का एक रोग जिसमें चीजें,धुँधली, फीके रंग की या रंग-बिरंगी दिखाई देती हैं। वैद्यक में रतौंधी रोग को भी इसी के अन्तर्गत माना है। ३.एक प्रकार का वृक्ष।
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तिमिरनुद्  : वि० [सं०तिमिर√नुद्(नष्ट करना)+क्विप] अँधकार का नाश करनेवाला। पुं० सूर्य।
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तिमिरभिद्  : वि० [सं० तिमिर√नुद्(भेदना)+क्विप्] अंधकार को भेदने या नष्ट करनेवाला। पुं० सूर्य।
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तिमिरमय  : वि० [सं० तिमिर+मयट्] जिसमें अँधकार हो। अंधकार पूर्ण। अंधकार से युक्त। पुं०१,०राहु। २.ग्रहण। (सूर्य चंद्र आदि का)।
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तिमिर  : रिपु-पुं० [ष० त०] अंधकार का शत्रु, सूर्य़।
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तिमिरहर  : वि० [सं०तिमिर√हृ(हरना)+अच्] तिमिर या अंधकार दूर करनेवाला। पुं० १.सूर्य। २.दीपक। दीया।
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तिमिरांत  : पुं० [तिमिर-अंत,ष०त०] अंधकार का शत्रु अर्थात् सूर्य।
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तिमिरारी  : स्त्री० [तिमिर-अरि,ष० त०] अँधकार। अँधेरा।
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