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त्यक्त  : भू० कृ० [सं०√त्यज् (त्यागना)+क्त] [भाव० त्यक्ता] १. (पदार्थ) जिसका त्याग कर दिया गया हो। छोड़ा या त्यागा हुआ। २. यौ पदों के आरंभ में, जिसने छोड़ या त्याग दिया हो। जैसे–त्यक्त प्राण-मृत, त्यक्त-लज्ज-निर्लज्ज। ३. यौ० पदों के आरंभ में, जो किसी के द्वारा छोड़ या त्याग दिया गया हो। जैसे–त्यक्त श्री-जिसे श्री या लक्ष्मी ने त्याग दिया हो। अर्थात् अभागा या दरिद्र।
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त्यक्तव्य  : वि० [सं०√त्यज्+तव्यम] जो छोड़े जाने के योग्य हो। जिसे त्यागना उचित हो।
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त्यक्ता(क्तृ)  : वि० [सं०√त्यज्+तृच्] त्यागने वाला। जिसने त्याग किया हो।
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त्यक्ताग्नि  : वि० [सं०त्यक्त-अग्नि, ब० स०] गृहाग्नि की उपेक्षा करनेवाला। (ब्राह्मण)।
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त्यक्तात्मा(मन्)  : वि० [सं० त्यक्त-आत्मन्, ब० स०] हताश। निराश।
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