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त्रिया-विशेष  : पुं० [कर्म० स०] सांख्य के अनुसार सूक्ष्म मातृ, पितृज और महाभूत तीनों प्रकार के रूप धारण करनेवाला शरीर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
त्रिया-सर्ग  : पुं० [कर्म० स०] दैव, तिर्यग और मानुष ये तीनों सर्ग जिसके अंतर्गत सारी सृष्टि आ जाती है।
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त्रिय  : स्त्री०=त्रिया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि०=त्रय (तीन)।
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त्रियना  : अ०=तरना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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त्रिया  : स्त्री० [सं० स्त्री०] औरत। स्त्री।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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त्रियामक  : पुं० [सं० त्रि√यम् (नियन्त्रण करना)+णिच्+ण्वुल्-अक] पाप।
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त्रियूह  : पुं० [सं०] सफेद रंग का घोड़ा।
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