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दावा  : स्त्री० [सं० दाव] दावानल। पुं० [अ०] १. किसी वस्तु पर अपना अधिकार या स्वत्व करने की क्रिया या भाव। यह कहते हुए किसी चीज पर हक जाहिर करना कि यह हमारी है या होनी चाहिए। २. अधिकार। स्वत्व। हक। जैसे—उस मकान पर तुम्हारा कोई दावा नहीं है। ३. न्यायालय में प्रार्थना-पत्र उपस्थित करते हुए यह कहना कि अमुक व्यक्ति से हमें इतना धन अथवा अमुक वस्तु मिलनी चाहिए जो हमारा प्राप्य है अथवा न्यायतः जिसके अधिकारी हम हैं। ४. दीवानी अदालत का अभियोग। नालिश। जैसे—महाजन ने उन पर जो हजार रूपयों का दावा किया है। ५. फौजदारी अदालत में कुछ विशिष्ट अवस्थाओं में उपस्थित किया जानेवाला उक्त प्रकार का अभियोग। जैसे—किसी पर मानहानि (अथवा लड़का भगा ले जाने) का दावा करना। ६. नैतिक अथवा लौकिक दृष्टि से किसी वस्तु या व्यक्ति पर होनेवाला अधिकार, जोर या वश। जैसे—तुम पर हमारा कोई दावा तो है नहीं जो हम तुम्हें वहाँ जबरदस्ती भेज सकें। ७. अभिमान या गर्वपूर्ण कही जानेवाली बात। जैसे—वे इस बात का दावा करते हैं कि हमने कभी झूठ नहीं बोला।
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दावागीर  : पुं० [अ० दावा+फा० गीर] दावा करनेवाला। अपना अधिकार या हक जतानेवाला।
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दावाग्नि  : स्त्री० [सं० दाव-अग्नि, मध्य० स०] वन में लगनेवाली आग। दावानल।
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दावात  : स्त्री०=दवात।
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दावादार  : पुं०=दावेदार।
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दावानल  : पुं० [सं० दाव-अनल, मध्य० स०] वन की भीषण आग जो बाँसों, वृक्षों आदि की टहनियों की रगड़ से उत्पन्न होती है और दूर तक फैलती है। वनाग्नि।
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