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दुर्लभ-मुद्रा  : स्त्री० [सं० दुर्लभा-मुद्रा कर्म० स०] आधुनिक अर्थशास्त्र में वह विदेशी मुद्रा जो कठिनाई से प्राप्त होती हो। विशेष—जब एक देश दूसरे देश को अधिक मूल्य का सामान निर्यात करता है और उस देश से कम मूल्य का सामान आयात करता है तो उसके लिए तो दूसरे देश की मुद्रा सुलभ रहती है (क्योंकि इसका उधर पावना होता है) परंतु दूसरे देश के लिए उस देश की मुद्रा दुर्लभ होती है (क्योंकि उसे पहले ही देना अधिक होता है)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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