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दूसरा  : वि० [हिं० दो+सर (प्रत्य०) पु० हिं० दोसर] [स्त्री० दूसरी] १. जो क्रम या संख्या के विचार से दो के स्थान पर पढ़ता हो। पहले के ठीक बादवाला। जैसे—(क) यह उनका दूसरा लड़का है। (ख) उसके दूसरे दिन वे भी चले गये। २. दो या कई में से कोई एक, विशेषतः प्रस्तुत अथवा उस एक से भिन्न जिसका उल्लेख या चर्चा हुई हो। जैसे—एक पुस्तक तो हमने छाँट ली है; दूसरी कोई आप भी ले लें। ३. प्रस्तुत से भिन्न। जैसे—यह तो दूसरी बात हुई। ४. अतिरिक्त। अन्य। और जैसे—वह दूसरे साधनों से कहीं अधिक धन कमाता है। सर्व० १. जिसकी चर्चा न हुई हो। बचा हुआ। जैसे—कोई दूसरा इसका आनन्द क्या जाने। २. जिसका दोनों पक्षों में से किसी के साथ कोई लगाव या संबंध न हों। जैसे—आपस की बात-चीत (या लड़ाई) में दूसरों को नहीं पड़ना चाहिए।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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