शब्द का अर्थ
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नान :
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स्त्री० [फा०] १. मोटी बड़ी रोटी। पद–नान-नुफका=रोटी और कपड़ा; अर्थात् खाने-पीने और पहनने आदि की सामग्री। २. तंदूर में पकाई जानेवाली एक प्रकार की मोटी खमीरी रोटी। ३. खमीरी रोटी। |
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नानक :
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वि० [पं० नानका=ननिहाल] [स्त्री० नानकी] जो ननिहाल में उत्पन्न हुआ हो। पुं० कबीर के समकालीन एक प्रसिद्ध निर्गुण ज्ञानी भक्त जो सिक्ख संप्रदाय के आदि गुरु माने जाते हैं। (वि० सं० १5२6-97) |
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नानक-पंथ :
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पुं० [हिं०] गुरु नानक का चलाया हुआ सिक्ख-संप्रदाय। |
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नानक-पंथी :
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वि० [हिं० नानक+पंथ] १. नानक पंथ-संबंधी। २. नानक का अनुयायी। |
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नानकशाह :
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पुं०=नानक (महात्मा)। |
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नानकशाही :
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वि०=नानकपंथी। |
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नानकार :
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स्त्री० [फा० नान=रोटी+कार (प्रत्य०)] वह जमीन जो सेवक को पुरस्कार रूप में जीविका-निर्वाह के लिए दी जाती थी। |
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नानकीन :
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पुं० [चीनी नानकिङ्] चीन के नानकिङ् नगर में बननेवाला एक तरह का बढ़िया सूती कपड़ा, जो अब सभी देशों में बनने लगा है और ‘मारकीन’ के नाम से प्रसिद्ध है। |
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नान-ख़ताई :
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स्त्री० [फा० नान=रोटी+खता (एक प्रदेश का नाम)] २. खता नामक प्रदेश में बननेवाली एक प्रकार की मीठी खस्ता रोटी। २. मैदे, सूजी आदि का बना हुआ एक तरह का मीठा खस्ता पकवान। |
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नानबाई :
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पुं० [फा० नान+बा=बेचनेवाला] वह जो नान अर्थात् रोटियाँ बेचता हो। |
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नानस :
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स्त्री० [?] ननिया सास का संक्षिप्त रूप। |
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नाना :
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वि० [सं० न०+नाञ्] [भाव० नानत्व] १. अनेक प्रकार के। बहुत तरह के। विविध। (बहु०) २. अनेक। बहुत। पुं० [देश०] [स्त्री० नानी] माता का पिता या मातामह। स० [सं० नमन] १. नवाना। झुकाना। २. प्रविष्ठ करना। घुसाना। ३. अन्दर रखना। डालना। ४. संयो० क्रि० के रूप में, पूरा करना। उदा०–अस मनमथ महेश कै नाई।–तुलसी। पुं० [अ० नऽनऽ] पुदीना। जैसे–अर्कनाना=पुदीने का अरक। |
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नानाकंद :
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पुं० [सं०] पिंडालु। |
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नानात्मवादी (दिन्) :
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वि० [सं० नाना-आत्मन्, कर्म० स०, नानात्मन्√वद् (बोलना)+ णिनि] सांख्य दर्शन का अनुयायी जो यह मानता हो कि व्यक्ति की आत्मा विश्वात्मा से अलग अस्तित्व रखती है। |
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नानार्थ :
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वि० [सं० नाना-अर्थ, ब० स०] १. (शब्द) जिसके अनेक अर्थ हों। २. (वस्तु) जो अनेक कामों में प्रयुक्त हो सके। |
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नानी :
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स्त्री० [हिं० नाना का स्त्री०] माँ की माँ। माता की माता। मातामही। मुहा०–नानी मरना या मर जाना=(क) इतना उदास, खिन्न या दुःखी हो जाना कि मानों नानी मर गई हो। (ख) बहुत अधिक विपत्ति या झंझट में पड़ना। नानी याद आना=ऐसी विपत्ति या संकट में पड़ना कि मानों बच्चों की तरह नानी की सहायता या संरक्षण की अपेक्षा कर रहे हो। (परिहास और व्यंग्य) पद–नानी की कहानी=पुरानी और व्यर्थ की लंबी-चौड़ी बातें। |
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नानुसारी :
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वि० [हिं० न+अनुसारी] अनुसरण न करनेवाला। |
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नान्ह :
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वि० [प्रा० लान्हा] १. नन्हा। छोटा। २. तुच्छ या हीन कुल अथवा वंश का। ३. पतला। बारीक। महीन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) मुहा०–नान्ह कातना=ऐसा बारीक या सूक्ष्म काम करना जिसमें बहुत अधिक परिश्रम और समझदारी की आवश्यकता हो। |
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नान्हक :
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पुं०=दे० ‘नानक’। |
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नान्हरिया :
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वि०=नान्हा (नन्हा)। |
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नान्हा :
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वि० दे० ‘नन्हा’। २. दे० ‘नान्ह’। |
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