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नाप-जोख़  : स्त्री० [हिं० नापना+जोखना] १. किसी चीज की लंबाई-चौड़ाई आदि नापने अथवा किसी चीज या बात का गुरुत्व, मान, शक्ति आदि आँकने अथवा समझने की क्रिया या भाव। जैसे–(क) आज-कल देहातों में खेतों की नाप-जोख हो रही है। (ख) किसी से लड़ाई छेड़ने (या ठानने) से पहले उसके बल, साधनों आदि की नाप-जोख कर लेनी चाहिए। २. दे० ‘नाप-तौल’। विशेष–साधारण बोल-चाल में ‘नाप-जोख’ पद का प्रयोग मूर्त पदार्थों के सिवा अमूर्त तत्त्वों या बातों के संबंध में भी देखने में आता है, जैसे कि ऊपर के (ख) उदाहरण से स्पष्ट है। अतः कहा जा सकता है कि अर्थ की दृष्टि से ‘नाप-तौल’ की तुलना में ‘नाप-जोख’ पद अधिक व्यंजक तथा व्यापक है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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