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नाली  : स्त्री० [हिं० नाला का स्त्री० अल्पा० रूप] १. गंदा पानी बहने का घर, गली आदि में का पतला और छिछला मार्ग। छोटा नाला। मोरी। २. जल-मार्ग जो प्रायः कम चौड़ा और छिछला होता है। जैसे–खेत में की नाली। ३. वह गहरी लकीर तो तलवार की बीचो बीच पूरी लंबाई तक गई होती है। ४. पतला। नल। नली। ५. पुरानी चाल की बंदूक। उदा०–बान नालि हथनाल, तुपक तीरह सब सज्जिय।–चंदबरदाई। ६. कुम्हार के आँवे का वह नीचे की ओर गया हुआ छेद जिससे आग डालते हैं। घोड़े की पीठ पर का गड्ढा। ८. चोंगा। ढरका। स्त्री० [सं० नालि+ङीष्] १. नाड़ी। २. करेमू का साग। ३. कमल का डंठल। ४. एक उपकरण जिससे हाथी का कान छेदा जाता है। ५. एक तरह का बाघ। ६. घड़ी।
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नालीक  : पुं० [सं० नाली√कै (शब्द)+क] १. पुरानी चाल का एक तरह का तीर जो बाँस की नली में रखकर चलाया जाता था। तुफंग। २. भाला। ३. कमलों का जाल या समूह। ४. कमल-नाल। ५. कमंडलु।
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नालीकिनी  : स्त्री० [सं० नालीक+इनि–ङीप्] १. पद्म समूह। २. कमलों से पूर्ण जलाशय।
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नालीदार  : वि० [हिं० नाली+फा० दार] जिसमें नाली या नालियाँ बनी या लगी हों।
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नालीप  : पुं० [सं०] कदंब।
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नाली-व्रण  : पुं० [सं० मध्य० स०] नासूर।
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