शब्द का अर्थ
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नाश :
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पुं० [सं०√नश् (नष्ट होना)+घञ्] [कर्ता० नाशक, भू० कृ० नष्ट] १. ऐसी स्थिति जिसमें किसी वस्तु की सत्ता मिल चुकी होती है। २. सत्ता से च्युत या रहित करने या होने की अवस्था, क्रिया या भाव। ३. रचनाओं का टूट-फूटकर ध्वस्त होना। ४. चौपट होने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाशक :
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वि० [सं०√नश्+णिच्+ण्वुल्–अक] १. ध्वंस या नाश करनेवाला। मिटाने या दूर करनेवाला। २. मारने या बध करनेवाला। |
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नाशकारी (रिन्) :
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वि० [सं० नाश√कृ (करना)+णिनि] [स्त्री० नाश कारिणी] नाश करनेवाला। नाशक। |
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नाशन :
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पुं० [सं०√नश्+णिच्+ल्युट्–अन] नाश करना। वि० [स्त्री० नाशिनी] नाश करनेवाला। |
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नाशना :
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सं० [सं० नाश] नाश करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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नाशपाती :
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स्त्री० [फा० नाशपाती] सेब की जाति का एक प्रसिद्ध पेड़ और उसका फल जो काश्मीर में बहुत होता है। |
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नाश-वाद :
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पुं० [सं० ष० त०] १. यह वाद या सिद्धान्त कि संसार में जो कुछ है, उसका नाश अवश्य होगा। २. एक आधुनिक पाश्चात्य सिद्धांत जिसके अनुसार सभी धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक मान्यताएँ तथा व्यवस्थाएँ बुरी समझी जाती हैं। (निहलिज्म) |
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नाशित :
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भू० कृ० [सं०√नश्+णिच्+क्त] जिसका नाश हो चुका हो। नष्ट। |
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नाशी (शिन्) :
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वि० [सं० नाश+इनि] [स्त्री० नाशिनी] १. नाश करनेवाला। नाशक। २. नष्ट होनेवाला। नश्वर। |
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नाशुक :
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वि० [सं०√नश्+उकञ्] नष्ट होनेवाला। नश्वर। |
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नाश्ता :
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पुं० [फा़ नाश्तः] सबेरे अथवा दोपहर के भोजन के कुछ समय पहले बासी मुँह किया जानेवाला जल-पान। कलेवा। |
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नाश्य :
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वि० [सं०√नश्+णिच्+यत्] १. जिसका नाश हो सके या होने को हो। २. जिसका नाश किया जाना उचित हो। |
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