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निर्जल  : वि० [सं० निर-जल, ब० स०] [स्त्री० निर्जला] १. (आधान या पात्र) जिसमें जल न हो। २. (व्यक्ति) जिसने जल न पीया हो। ३. (नियम या व्रत) जिसमें जल तक पीने का निषध हो। ४. (क्रिया या प्रयोग) जिसमें जल की अपेक्षा न होती तो, बल्कि उसका काम रासायनिक पदार्थों से किया जाता हो। (ड्राई) जैसे–निर्जल खेती, निर्जल धुलाई। पुं० १. वह स्थान, जहाँ जल बिलकुल न हो। २. ऐसा उपवास या व्रत जिसमें जल न पीया जाता हो।
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निर्जल खेती  : स्त्री० [सं०+हिं०] ऐसी खेती जिसमें वर्षा के जल की अपेक्षा न हो, बल्कि वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से फसल तैयार कर ली जाय। (ड्राई फारमिंग)
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निर्जल धुलाई  : स्त्री० [सं०+हिं०] कपड़ों आदि की ऐसी धुलाई, जिसमें बिना जल का उपयोग किये वे वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से साफ किये जाते हैं। (ड्राई वाशिंग)
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निर्जल प्रतिसारण  : पुं० [सं० कर्म० स०] घावों आदि के धोने की वह प्रक्रिया जिसमें उन्हें साफ करके उनमें केवल रूई भरी जाती है, तरल औषधों का प्रयोग नहीं होता। (ड्राई ड्रेसिंग)
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निर्जला एकादशी  : स्त्री० [सं० व्यस्त पद] जेठ सुदी एकादशी, जिस दिन निर्जल व्रत रखने का विधान है।
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निर्जलित  : भू० कृ० [सं० निर्√जल् (ढकना)+क्त] जिसके अंदर का जल निकाल या सुखा दिया गया हो। (डिहाइड्रे टेड)
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निर्जलीकरण  : पुं० [सं० निर्जल+च्वि, ईत्व√कृ+ल्युट्–अन] रासायनिक प्रक्रिया द्वारा किसी वस्तु में से उसका जलीय अंश निकाल लेना या उसे सुखा देना। (डिहाइड्रेशन) जैसे–तरकारियों या फलों का निर्जलीकरण।
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