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शब्द का अर्थ

निर्धारण  : पुं० [सं० निर्√धृ (धारण)+णिच्+ल्युट्–अन] १. किसी विचार को कार्य का रूप देने से पहले मन में उसे करने की दृढ़ धारणा बनाना। तै या निश्चित करना। २. निश्चय के रूप में सभा, समितियों आदि का कोई प्रस्ताव पारित करना। ३. अर्थ-शास्त्र में, निर्मित वस्तुओं के विक्रय-मूल्य निश्चित करना अथवा माँग और पूर्ति के आधार पर स्वयं मूल्य निश्चित करना अथवा माँग और पूर्ति के आधार पर स्वयं मूल्य निश्चित होना। ४. यह निश्चय करना कि अमुक काम से कितना आय या कितना व्यय होना चाहिए। (एसेस्मेंट) ५. न्याय में, किसी एक जाति के पदार्थों में से गुण, कर्म आदि के विचार से कुछ को अलग करना। जैसे–यदि कहा जाय कि ‘अमुक जाति के आम बहुत अच्छे होते हैं’ तो यह उस जाति के आमों का निर्धारण होगा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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