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पंचाल  : पुं० [सं० √पंच+कालन्] [वि० पांचाल] १. पंचमुख महादेव। २. पाँचों ज्ञानेंद्रियों के पाँच विषय। ३. क्षत्रियों की एक प्राचीन शाखा। ४. उक्त शाखा के क्षत्रियों का देश जो हिमालय और चंबल के बीच में गंगा के दोनों ओर स्थित था। ५. उक्त देश का निवासी। ६. बाभ्रव्य गोत्र के एक ऋषि। ७. शिव। ८. एक प्रकार का छन्द जिसके प्रत्येक चरण में एक तगण (ऽऽ1) होता है। ९. दक्षिण भारत की एक जाति जो लड़की और लोहे का काम करती है। १॰. एक प्रकार का जहरीला कीड़ा।
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पंचालिका  : स्त्री० [सं० पंच=प्रपंच+अल् (शोभा)+ण्वुल्—अक, टाप्, इत्व] १. गुड़िया। २. साहित्य में पांचाली रीति का दूसरा नाम।
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पंचालिस  : वि०, पुं०=पैंतालीस। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पंचाली  : वि० [सं० पंचाल+इन्] १. पंचाल देश में रहनेवाला। २. पंचाल का। स्त्री० १. द्रौपदी। २. गुड़िया। ३. चौपड़ या चौसर की बिसात। ४. एक प्रकार की गीत जिसे पांचाली भी कहते हैं। दे० ‘पांचाली’।
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