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पटरी  : स्त्री० [हिं० पटरा का स्त्री० अल्पा०] १. काठ का छोटा पतला और लंबोतरा टुकड़ा। छोटा पटरा। २.वह तख्ती या पट्टी जिस पर बच्चे लिखने का अभ्यास करते हैं। ३. वह चौड़ा खपड़ा जिसकी संधियों पर नरिया औंधी करके रखी जाती है। थपुआ। ४. सड़क के दोनों किनारों का वह कुछ ऊँचा और कम चौड़ा पथ जो पैदल चलनेवालों के लिए सुरक्षित रहता है। ५. उक्त प्रकार के वे दोनों छोटे रास्ते जो नहरों आदि के दोनों किनारों पर बने रहते हैं। ६. उक्त के आधार पर लोहे के वे छड़ या टुकड़े जो समानान्तर लगे रहते हैं और जिनके ऊपर से रेल-गाड़ी चलती है। जैसे—रेलगाड़ी के दो डब्बे पटरी से उतर गये। ७. बगीचे में क्यारियों के इधर-उधर के पतले रास्ते जिनके दोनों ओर सुन्दरता के लिए घास लगा दी जाती है और जिन पर से होकर लोग आते-जाते हैं। ८. हाथ में पहनने की एक तरह की नक्काशीदार चौड़ी चूड़ी। ९. गले में पहनने की चौकी,जंतर या ताबीज। १॰. लाक्षणिक रूप में,पारस्परिक व्यवहार में वह स्थिति जिसमें परस्पर सौहार्दपूर्वक निर्वाह होता है। मुहा०—(किसी से) पटरी बैठाना=प्रकृति,रुचि आदि की समानता होने के कारण सहज में और सुगमतापूर्वक निर्वाह होना। जैसे—दोनों बहुत दुष्ट हैं; इसी लिए उनमें खूब पटरी बैठती है। ११. घोड़े की सवारी में वह स्थिति जिसमें सवार की दोनों जाँघें पीठ या जीन पर ठीक तरह से और उपयुक्त स्थान पर बैठती या रहती हैं। मुहा०—पटरी जमाना या बैठाना=घुड़सवारी में सवार का अपनी रानों को इस प्रकार जीन पर चिपकाना कि घोड़े के बहुत तेज चलने या शरारत करने पर भी उसका आसन स्थिर रहे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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