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पर्यायोक्ति  : स्त्री० [सं० पर्याय—उक्ति, तृ० त०] एक प्रकार का अर्थालंकार जिसमें (क) कोई बात सीधी तरह से न कहकर चमत्कारिक और विलक्षण ढंग से कही जाती है। जैसे—नायक के बिछुड़ने के समय रोती हुई नायिका का अपने आँसुओं से यह कहना कि जरा ठहरो, और मेरे प्राण भी अपने साथ लेते जाओ। (ख) किसी बहाने या युक्ति से कोई काम करने का उल्लेख होता है। जैसे—पक्षियों और हिरनों को देखने के बहाने सीता जी बार-बार श्रीराम की ओर देखती थीं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पर्यायोक्ति  : स्त्री० [सं० पर्याय—उक्ति, तृ० त०] एक प्रकार का अर्थालंकार जिसमें (क) कोई बात सीधी तरह से न कहकर चमत्कारिक और विलक्षण ढंग से कही जाती है। जैसे—नायक के बिछुड़ने के समय रोती हुई नायिका का अपने आँसुओं से यह कहना कि जरा ठहरो, और मेरे प्राण भी अपने साथ लेते जाओ। (ख) किसी बहाने या युक्ति से कोई काम करने का उल्लेख होता है। जैसे—पक्षियों और हिरनों को देखने के बहाने सीता जी बार-बार श्रीराम की ओर देखती थीं।
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