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शब्द का अर्थ

पार्थक्य  : पं० [सं० पृथक्+ण्यञ्] १. पृथक् होने की अवस्था या भाव। २. वह गुण जिससे चीजों का पृथक्-पृथक् होना सूचित होता हो। ३. अंतर। ४. जुदाई।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पार्थक्य  : पं० [सं० पृथक्+ण्यञ्] १. पृथक् होने की अवस्था या भाव। २. वह गुण जिससे चीजों का पृथक्-पृथक् होना सूचित होता हो। ३. अंतर। ४. जुदाई।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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