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पुतला  : पुं० [सं० पुत्रक] [स्त्री० अल्पा० पुतली] किसी व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने के लिए उसकी अनुपस्थिति में बनाई जानेवाली धातु, कागज, कपड़े आदि की आकृति। विशेष—जब कोई आदमी विदेश में या किसी ऐसी स्थिति में मर जाता है कि उसका शव प्राप्त न हो सकता हो तब हिन्दू लोग उसका पुतला बनाकर दाह कर्म करते हैं। मुहा०—किसी का पुतला बाँधना=किसी की निंदा करते फिरना। किसी की अपकीर्ति फैलाना। विशेष—मध्य-युगीन भारत में, भाट आदि जिससे असंतुष्ट होते थे, उसकी उक्त प्रकार की आकृति बनाकर गली-गली उसका उपहास और निन्दा करते फिरते थे। इसी से यह मुहावरा बना है। मुहा०—पुतला जलाना=(क) मृत व्यक्ति का पुतला बनाकर उसका दाह-कर्म करना। (ख) किसी को अपमानित तिरस्कृत करने अथवा उसकी मृत्यु की कामना करने के लिए उसका पुतला बनाकर जलाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पुतला  : पुं० [सं० पुत्रक] [स्त्री० अल्पा० पुतली] किसी व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने के लिए उसकी अनुपस्थिति में बनाई जानेवाली धातु, कागज, कपड़े आदि की आकृति। विशेष—जब कोई आदमी विदेश में या किसी ऐसी स्थिति में मर जाता है कि उसका शव प्राप्त न हो सकता हो तब हिन्दू लोग उसका पुतला बनाकर दाह कर्म करते हैं। मुहा०—किसी का पुतला बाँधना=किसी की निंदा करते फिरना। किसी की अपकीर्ति फैलाना। विशेष—मध्य-युगीन भारत में, भाट आदि जिससे असंतुष्ट होते थे, उसकी उक्त प्रकार की आकृति बनाकर गली-गली उसका उपहास और निन्दा करते फिरते थे। इसी से यह मुहावरा बना है। मुहा०—पुतला जलाना=(क) मृत व्यक्ति का पुतला बनाकर उसका दाह-कर्म करना। (ख) किसी को अपमानित तिरस्कृत करने अथवा उसकी मृत्यु की कामना करने के लिए उसका पुतला बनाकर जलाना।
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