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प्रतिवस्तूपमा  : स्त्री० [सं० प्रतिवस्तु-उपमा, ष० त०] साहित्य में, एक प्रकार का अलंकार जिसे कुछ लोग ‘उपमा’ अलंकार के अंतर्गत और कुछ लोग उसके पृथक् स्वतंत्र अलंकार मानते हैं। इस काव्यालंकार के प्रत्येक वाक्यार्थ में उपमा अर्थात् साधर्म्य का उल्लेख होता है अथवा एक ही साधारण धर्म का उपमान-वाक्य में भी और उपमेय-वाक्य में भी समान रूप से कथन होता है। जैसे—मैं तुम्हारे मुख पर अनुरक्त हूँ, चकोर चंद्रमा पर ही अनुरक्त होता है। विशेष—दृष्टांत और प्रतिवस्तूपमा अलंकारों का अन्तर जानने के लिए। दें० ‘दृष्टांत’ (अलंकार) का विशेष।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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