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प्रभंजन  : पुं० [सं० प्र√भंज् (भंग करना)+ल्युट्—अन][भू० कृ० प्रभग्न] १. अच्छी या पूरी तरह से तोड़ने-फोड़ने और नष्ट करने की क्रिया या भाव। २. रोकना या निवारण करना। ३. हराना। पराजित करना। ४. वैज्ञानिक क्षेत्र में, मुख्यतः वह बहुत तेज हवा जो ७५ से १00 मील प्रति घंटे के हिसाब से चलती हो। (ह्युरिकेन) ५. वायु। हवा। ६. वायु का वह देव रूप जिससे हनुमान उत्पन्न हुए थे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
प्रभंजन-जाया  : पुं०=हनुमान (प्रभंजन के पुत्र)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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