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प्रवर्त  : पुं० [सं० प्र√वृत् (बरतना)+घञ्] १. कोई कार्य आरम्भ करना। अनुष्ठान। प्रवर्तन। ठानना। २. एक प्रकार के मेघ या बादल। ३. वैदिक काल का एक प्रकार का गोलाकार आभूषण या गहना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
प्रवर्तक  : वि० [सं० प्र√वृत्+णिच्+ण्वुल्—अक] १. प्रवर्तन (देखें) करनेवाला। २. किसी काम या बात का आरंभ अथवा प्रचलन करनेवाला। प्रतिष्ठाता। ३. काम में लगाने या प्रवृत्त करनेवाला। प्रेरित करनेवाला। ४. उभारने या उसकानेवाला। ५. गति देने या चलानेवाला। ६. नया आविष्कार करनेवाला। ७. न्याय या विचार करनेवाला। पुं० साहित्य में, रूपकों की प्रस्तावना का वह प्रकार या भेद जिसमें प्रस्तुत कार्य से संबद्ध कृत्य का परित्याग करके कोई और काम कर बैठने का दृश्य उपस्थित किया जाता है। जैसे—संस्कृत के ‘महावीर चरित’ में राम की वीरता से प्रसन्न होकर परशुराम उनसे लड़ने का विचार छोड़कर प्रेमपूर्वक उनका आलिगन करने लगते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
प्रवर्तन  : पुं० [सं० प्र√वृत्+णिच्+ल्युट्—अन] [भू० कृ० प्रवर्तित, वि० प्रवर्तनीय, प्रवर्त्य] १. नया काम या नई बात का आरंभ करना। श्रीगणेश करना। ठानना। २. नये सिरे से प्रचलित करना। ३. जारी करना। जैसे—अध्यादेश का प्रवर्तन। ४. प्रवृत्त करना। ५. उत्तेजित करना। ६. दुरुत्साहन। प्रवर्तना
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
प्रवर्तित  : भू० क. [सं० प्र√वृत्त+णिच्+क्त] १. ठाना हुआ। आरब्ध। २. चलाया हुआ। ३. निकाला हुआ। ४. उत्पन्न। ५. उभरा हुआ। ६. उत्तेजित।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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