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प्रसृत  : भू० कृ० [सं० प्र√सृ (गति)+क्त] १. फैला हुआ। २. बढ़ा हुआ। ३.. विनीत। ४. भेजा हुआ। ५. तत्पर। लगा हुआ। ६. प्रचलित। ७. इन्द्रियलोलुप। पुं० १. हथेली भर का मान। २. अर्द्धांजलि। ३. दो पलों का मान।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
प्रसृतज  : पुं० [सं० प्रसृत√जन्+ड] महाभारत के अनुसार वह पुत्र जो व्यभिचार से उत्पन्न हुआ हो। जारज पुत्र।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
प्रसृति  : स्त्री० [सं० प्र√सृ+क्तिन्] १. फैले हुए होने की अवस्था या भाव। प्रसार। फैलाव। २. संतति। संतान। ३. गहरी की हुई अंजलि या हथेली। ४. सोलह तोले की एक पुरानी तौल। पसर। ५. जल्दी। शीघ्रता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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