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फेंकना  : स० [सं० प्रषण, प्रा० पेखण] १. हाथ में ली हुई वस्तु को जोर या झटके से इस प्रकार छोड़ना कि वह उड़ती-उड़ती कुच दूर जा गिरे। जैसे—(क) ईंट, पत्थर रोड़ा फेंकना। (ख) नदी में जाल फेकंना। २. हाथ में ली हुई कोई चीज इस प्रकार पकड़ से अलग करना कि वह नीचे आ गिरे। गिरा या छोड़ देना। जैसे—पाठशाला से घर आते समय लड़का रास्ते में किताब नहीं फेंक आया। ३. किसी प्रकार की कमानी, दाब आदि से दबी हुई चीज के प्रति ऐसी क्रिया करना कि वह जोर या झटके से दूर जा गिरे। जैसे—कमान से तीर या तोप से गोला फेंकना। ४. असावधानी, आलस्य भूल आदि के कारण चीज या चीजें अस्त-व्यस्त रूप में इधर-उधर फैलाना या छोड़ देना। जैसे—कपड़े (या पुस्तकें) इस तरह फेंका मत करो, सँभाल कर रखना सीखो। ५. उपेक्षापूर्वक कोई किसी चीज के आगे पटकना। जैसे—बच्चा बस्ता फेंककर उसी समय कहीं चला गया। ६. आघात, प्रहार आदि के उद्देश्य से अथवा ठीक लक्ष्य पर पहुँचने के लिए वेगपूर्वक कोई चीज उछालते हुए कहीं दूर पहुंचाना। जैसे—(क) चिड़ियों (या मछलियों) पर ढेले या पत्थर फेंकना। (ख) खेल में गेंद पेंकना। ७. अनावस्य या व्यर्थ समझकर दूर हटाना। जैसे—ये पुराने कपड़ें फेंको और नये कपड़े पहनो। ८. अनावश्यक रूप से या व्यर्थ व्यय करना। जैसे—तुम सौदा खरीदना नहीं जानते, यों ही रुपए फेंक आते हों। ९. जुए के खेल में, उसका कोई उपकरण दाँव लाने के लिए चलना। जैसे—कौड़ी, गोटी, ताश आदि का पत्ता या पाँसा फेंकना। १॰. शरीर के अंगों के संबंध में उछालते या ऊपर उठाते हुए नीचे गिराना या पटकना। जैसे—यह बच्चा नींद में प्रायः हाथ-पैर फेंकता है। ११. क्रिकेट के खेल में उछली हुई गेंद को ठीक न लोक पाने के कारण नीचे गिरा देना। १२. इस प्रकार ऊपर से कोई चीज गिराना कि नीचे से कोई लोक ले। १३. कुश्ती में प्रतिद्वंद्वी को जमीन पर गिराना या पटकना। १४. काम-धंधे आदि के संबंध में स्वयं पूरा न करके उदासीनता या उपेक्षापूर्वक दूसरों पर उसका भार डालना। जैसे—तुम सब काम मुझ पर फेंककर निश्चिंत हो जाते हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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