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बदना  : स० [सं०√बद्=कहना] १. कथन या वर्णन करना। कहना। २. बात करना। बोलना ३. दृढ़ता या निश्चयपूर्वक कोई बात कहना। पद—बदकर या कह-बदकर-(क) बहुत ही दृढ़ता या निश्चयपूर्वक कहकर। जैसे—वह कह-बदकर कुश्ती जीतता है। (ख) दृढ़ता पूर्वक आगे बढ़कर। ४. प्रणाम के रूप में मानना। ठीक समझना। सकारना। उदाहरण—औरहू न्हायो सु मैं न बदी, जब नेह-नदी में न दी पग—आँगुरी।—नागरीदास। ५. आपस में नियत, निश्चित या पक्का करना। ठहराना। जैसे—दोनों पहलवानों की कुश्ती बदी गयी है। उदाहरण—(क) बदन बदी थी रंग-महल की टूटी मँडैया में ल्याइ उतारयो। (ख) अवधि बदि सैयाँ अजहूँ न आवे।—गीत। ६. किसी प्रकार की प्रतिद्वन्द्विता या होड़ के संबंध में बाजी या शर्त लगाना। जैसे—तुम तो बात-बात में शर्त बदने लगते हो। ७. बड़ा या महत्व का मानना उदाहरण—हिरदय में से जाइयौ, मरद बदौंगो तोहि। ८. किसी को किसी गिनती या लेखे में समझना। ध्यान में लाना। मान्य समझना। जैसे—यह तो तुम्हे कुछ भी नहीं बदता। उदाहरण—(क) सकति सनेहु कर सुनति करीऐ मै न बदउँगा भाई।—कबीर। (ख) बदतु हम कौं नेकु नाँही मरहिं जौ पछिताहिं।—सूर। १॰. नियत या मुकर्रर करना। जैसे—किसी को अपना गवाह बदना। अ० पहले से नियत निश्चित या स्थिर होना। जैसे—जो भाग्य में बदा होगा। वही होगा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
बदनाम  : वि० [फा०] [भाव० बदनामी] जिसका बुरा नाम फैला हो, अर्थात् कुख्यात।
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बदनामी  : स्त्री० [फा०] वह गर्हित या निन्दनीय लोक-चर्चा जो कोई अनुचित या बुरा काम करने पर समाज में विपरीत धारणा फैलने के कारण होती है। अपकीर्ति। कुख्याति। लोक-निंदा। (स्कैडल)। क्रि० प्र०—फैलना।-फैलाना।
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