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बालू  : पुं० [सं० बालुका] पत्थरों का वह बहुत ही महीन चूर्ण जो रेगिस्तानों तथा नदियों के तटों पर अत्यधिक मात्रा में पड़ा रहता ह तथा जो चूने, सीमेंट आदि के साथ मिलाकर इमारतों में जोड़ाई के काम आता है। पद—बालू की भीत=ऐसी चीज जो शीघ्र नष्ट हो जाय अथवा जिसका भरोसा न किया जा सके। स्त्री० [देश०] एक प्रकार की मछली जो दक्षिण भारत और लंका के जलाशयों में पाई जाती है।
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बालूड़ा  : पुं० [सं० बाल] बच्चा० बालक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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बालूदानी  : स्त्री० [हिं० बालू+फा० दानी] एक प्रकार की झँझरीदार डिबिया जिसमें लेख आदि की स्याही सुखाने के लिए बालू रखा जाता है।
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बालूबुर्द  : वि० [हिं० बालू+फा० बुर्द=ले गया] जो नदी के बालू के नीचे दब गया हो। पुं० वह भूमि जिसकी उर्वरा शक्ति नदी की बाढ़ या बालू पढ़ने के कारण नष्ट हो गई हो।
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बालूशाही  : स्त्री० [हिं० बालू+शाही=अनुरूप] मैदे की बनी हुई एक तरह की प्रसिद्ध मिठाई।
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बालूसूअर  : पुं० [हि०] एक प्रकार का छोटा सूअर जो नदी तट की रेतीली भूमि में रहता और प्रायः रात के समय निकलकर पेडो़ की जड़ें और मछलियाँ खाता है। कुछ लोग इसे भालू सूअर भी कहते हैं।
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