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बिरहा  : पुं० [सं० विरह] भोजपुरी बोली में, दो पंक्तियों वाला एक प्रसिद्ध लोकछंद।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
बिरहागि  : स्त्री० [सं० विरह+हिं० आग] विरह के कारण प्रिया (या प्रेयसी) को होनेवाली हार्दिक पीड़ा या कष्ट।
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बिरहाना  : अ० [सं० विरह] विरह-व्यथा काअनुभव करना। उदाहरण—राधा बिरह देख बिराहनी।—सूर। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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