शब्द का अर्थ
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बिहंग :
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पुं०=विहंग (पक्षी)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बिहंगम :
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पुं०=विहंग (पक्षी)। वि०=बेहंगम (वेढब या भद्दा)। |
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समानार्थी शब्द-
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बिहंडना :
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स० [सं० बिघटना, पा० विहंडन] १. खंड-खंडकर डालना। तोड़ना। २. काटना-छाँटना या चीरना-फाड़ना। ३. जोर से हिलाना। झकझोरना। उदाहरण—घाइ धार अपार वेग सों वायु बिंहड़ित।—रत्ना। ४. मार डालना। वध करना। ५. नष्ट या बरबाद करना। |
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समानार्थी शब्द-
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बिहँसना :
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अ० [सं० विहसन] १. मंद-मंद हँसना। मुस्कराना। २. हँसना। ३. फूलों आदि का खिलना। ४. प्रफुल्लित या प्रसन्न होना। |
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समानार्थी शब्द-
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बिहँसाना :
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अ०=बिहँसना। स०=हँसाना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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बिहँसौहाँ :
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वि० [हिं० बिहँसना] हँसता हुआ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिह :
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पुं० [सं० विधि] विधाता। उदाहरण—छत्रपति गयंद हरि हंस गति बिह बनाय संचै सचिय।—चंदबरदाई। पुं० [सं० विद्ध या वेध] किसी चीज में किया हुआ छेद। जैसे—नथ पहनने के लिए नाक का या बाली पहनने के लिए कान का बिह मूँगे या मोती को पिरोने के लिए उसमें किया जानेवाला बिह। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहग :
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पुं०=विहग। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहड़ना :
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अ०, स०=बिहरना। |
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समानार्थी शब्द-
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बिहतर :
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वि०=बेहतर। |
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बिहतरी :
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स्त्री०=बेहतरी। |
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बिहद्द :
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वि०=बेहद। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहवल :
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वि०=विह्वल। |
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बिहरना :
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अ० [सं० विहरण] बिहार करना। घूमना। फिरना। सैर करना। स० [सं० विघटन, प्रा० बिहडन] १. फटना। दरकना। विदीर्ण होना। २. टूटना-फूटना। स० १. फाड़ना। २. तोड़ना-फोड़ना। |
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बिहराना :
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स० [हिं० बिहरना] बिहरने में प्रवृत्त करना। अ०=बिहारना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहरी :
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स्त्री०=बेहरी। (चंदा)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहाग :
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पुं० [?] ओड़व संपूर्ण जाति का एक राग जो आधी रात के बाद लगभग २ बजे के गाया जाता है। यह हिंडोल राग का पुत्र भी माना जाता है। |
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बिहागड़ा :
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पुं० [सं० विहाग] संगीत में बिहाग राग का एक प्रकार या भेद। |
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बिहान :
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पुं० [सं० विभात, प्रा० बिहाड, विहाण] १. सबेरा। प्रातःकाल। २. आनेवाला दूसरा दिन। आगामी कल। पुं०=बियान। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहाना :
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स० [सं० वि+हा=छोड़ना] छोड़ना। त्यागना। स०=बिताना (व्यतीत करना)। |
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बिहार :
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पुं० [सं० विहार] १. गणतंत्र भारत का एक राज्य जो उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश बंगाल और आसाम राज्यों से घिरा है। २. दे० ‘बिहार’। |
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बिहारना :
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अ० [सं० विहरण] बिहार करना। |
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बिहारी :
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पुं० [हिं० बिहारी] बिहार राज्य का निवासी। स्त्री० बिहार की बोली। वि० १. बिहार संबंधी। बिहार का। २. बिहार में होनेवाला। |
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बिहाल :
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वि०=बेहाल। |
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बिहास :
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पुं० [हिं० बिहास] १. व्यवसाय। २. व्यवसायी। व्यापारी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहि :
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पुं०=विधि (ब्रह्या)। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहित :
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वि०=विहित। |
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बिहिश्त :
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पुं० [फा०] स्वर्ग। बैकुंठ। |
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बिहिश्ती :
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पुं० [फा०] १. बिहिश्त या स्वर्ग-संबंधी। स्वर्गीय। ३. स्वर्ग में होने या रहनेवाला। पुं० स्वर्ग का वासी। पुं०=भिश्ती। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिही :
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स्त्री० [फा०] १. एक प्रकार का पेड़। जिसके फल अमरूद से मिलते-जुलते हैं। २. उक्त पेड़ का फल। ३. अमरूद। (क्व०)। स्त्री० [फा०] भलाई। पद—बिहीख्वाह=शुभ चिंतक। हितैषी। |
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बिहीदाना :
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पुं० [फा०] बिही नामक फल का बीज जो दवा के काम मे आता है। |
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बिहीन :
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वि०=विहीन। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहुँ :
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वि० [सं० द्वि०] दो० उदाहरण—कनक बेलि बिहुँपान किरि।—प्रिथीराज। |
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बिहुँसन :
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पुं०=बिहसना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहुरना :
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अ०=बिथरना (बिखरना)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बिहन :
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वि०=विहीन। |
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बिहोरना :
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अ०=बिछुड़ना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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