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शब्द का अर्थ

भौं  : स्त्री०=भौंह।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
भौंकना  : अ०=भूँकना।
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भौंगर  : पुं० [देश०] क्षत्रियों की एक जाति। वि० मोटा-ताजा। हृष्ट-पुष्ट।
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भौंचाल  : पुं०=भूकंप।
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भौंडा  : वि०=भोडा (भद्दा)। स्त्री०=भौंडी।
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भौंडी  : स्त्री० [देश०] १. छोटा पहाड़। पहाड़ी। २. टीला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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भौंतुआ  : पुं० [हिं० भ्रमना=घूमना] काले रंग का एक तरह का छोटा कीड़ा जो जल के ऊपरी तल पर तेजी से दौड़ता और चक्कर काटता रहता है। २. एक प्रकार का रोग जिसमें बाहुदंड के नीचे एक गिलटी निकल आती है। ३. तेली का बैल जिसे दिन भर घूमते या चक्कर लगाते रहना पड़ता है। वि० बराबर घूमता रहनेवाला या चक्कर लगानेवाला।
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भौंना  : अ० [सं० भ्रमण] घूमना। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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भौंर  : पुं० [हिं० भौंर; सं० भ्रमर] १. भौंरा। २. मुश्की घोड़ा। स्त्री०=भौंरी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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भौंरकली  : स्त्री०=भँवरकली।
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भौंरा  : पुं० [सं० भ्रमर; पा० भमर; प्रा० भंवर] [स्त्री० भँवरी] १. काले रंग का उड़नेवाला एक पतंगा जो फूलों पर मँडराता और उसका रस चूसता है। इसके छः पैर, दो पर और दो मूँछें होती हैं। २. बड़ी मधुमक्खी। सारंग। डंगर। ३. बर्रे। भिड़। ४. ज्वार आदि की फसल को हानि पहुँचानेवाला एक प्रकार का कीड़ा। ५. लट्टू के आकार का एक प्रकार का खिलौना जिसमें कील या छोटी डडी लगी रहती है। इसी कील में रस्सी लपेटकर लड़के इसे जमीन पर नचाते हैं। ६. हिंडोले की वह लड़की जो मयारीमें लगी रहती है और जिसमें डोरी डंडी बंधी रहती है। ७. गाड़ी के पहिये का वह भाग जिसके बीच के छेद में घुरे का गज रहता है और जिसमें आरा लगाकर पहिये की पट्टियाँ जड़ी जाती हैं। नाभि। लट्ठा। मूँडी। ८. रहट की खड़ी चरखी जो भँवरी को चिराती है। चकरी। (बुंदेल) 9. पशुओं का एक रोग जिसे ‘चेचक’ भी कहते है। (बुंदेल०) १॰. पशुओं को आनेवाली मिरगी। ११. गड़ेरिये की भेड़ों की रखवाली करनेवाला कुत्ता। १२. तहखाना। १३. अनाज रखने का खत्ता। खात। १४. रहस्य सम्प्रदाय में, मन। पुं०=भाँवर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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भौंराना  : स० [सं० भ्रमण] १. परिक्रमा कराना। घुमाना। २. चक्कर या फेरा देना। ३. विवाह के समय भाँवर की क्रिया सम्पन्न कराना। ४. विवाह कराना। अ०=भौरना (घूमना या चक्कर खाना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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भौंराला  : वि० [हिं० भौंरा] [स्त्री० भौराली] भौंरे की तरह काले रंग का। वि० [हिं० भँवर] छल्लेदार। घुँघराला। (बाल) (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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भौंराही  : स्त्री० [हिं० भौंराना+आही (प्रत्य०)] १. भौंरे के मँडराने की क्रिया या भाव। २. वह शब्द जो भौंरा मँडराते समय करता है।
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भौंरी  : स्त्री० [सं० भ्रमर्थ] १. प्रायः पशुओं के शरीर पर होनेवाला रोओं का मंडलाकार छोटा घेरा जो अनेक आकृतियाँ आदि के विचार से शुभ या अशुभ माना जाता है। २. दे० ‘भाँवर’। ३. दे० ‘भँवर’। स्त्री०=भौंह। स्त्री० [देश०] लिट्टी। बाटी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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भौंह  : स्त्री० [सं० भ्रू] आँखों के ऊपर की हड्डी पर के रोएँ या बाल। भृकुटी। भौं। मुहा०—(किसी के सामने) भौंह उठाना=आँख उठाकर देखना। भौंह चढ़ाना या तानना=आँखें तानकर क्रोध या क्षोभ प्रकट करना। त्योरी चढ़ाना। बिगड़ना। (किसी की) भौंह जोहना या ताकना=यह देखते रहना कि कोई अप्रसन्न न होने पावे। भौंह नचाना=बराबर भौंहें हिलाना जो स्त्रियों के हाव-भाव और विशेष चंचलता का सूचक है। भौंह मरोड़ना=(क) असंतोष, उपेक्षा, रोष आदि प्रकट करने के लिए अपनी आकृति विकृत करना। नाक-भौंह चढ़ाना। उदा०—सुनि सौंतिनि के गुनि की चरचा द्विज जू तिय भौंह मरोरन लागी।—द्विजदेव। (ख) दे० ऊपर ‘भौंह चढ़ाना या तानना’। स्त्री० [अनु०] कुत्तों के भूँकने का शब्द।
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भौंहरा  : पुं०=भुइँहरा। पुं०=भौंरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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