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मछली  : स्त्री० [सं० मत्स्य; प्रा० मच्छ] १. सदा जल में रहने और अंडों से उत्पन्न होनेवाले जीवों का एक प्रसिद्ध और बहुत बड़ा वर्ग जिनमें फेफड़ों के स्थान पर गलफड़े होते हैं और जो पानी से बाहर निकालने पर प्रायः जल्दी मर जाते हैं। विशेष—अधिकतर मछलियों के शरीर में दोनों ओर पंख के समान अंग होते हैं, जिनसे वे जल में खूब तैर सकती हैं। इनकी अधिकतर जातियों का मांस सारे संसार में खाया जाता है। कुछ मछलियों की चरबी या तेल भी बहुत से कामों में आता है। पद—मछली का मोती=एक प्रकार का कल्पित मोती जिसके विषय में कहा जाता है कि यह मछली के पेट से निकलता है। २. मछली के आकार का बना हुआ सोने, चाँदी आदि का लटकन जो प्रायः कुछ गहनों में लगाया जाता है। ३. उक्त आकार-प्रकार की कोई रचना। ४. पुष्ट बाहों में दिखाई पड़नेवाला मांसल पेशियों का उभार। जैसे—उनकी बाँहों में मछलियाँ पड़ती थीं। क्रि० प्र०—पड़ना।
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मछली का दाँत  : पुं० [हिं०] गँडे के आकार के एक पशु का दाँत जो प्रायः हाथी दाँतक के समान होता है और उसी नाम से बिकता है।
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मछली की स्याही  : स्त्री० [हिं०] एक प्रकार का काला रोगन जो नकशे आदि बनाने के काम में आता है।
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मछली-गोता  : पुं० [हिं० मछली+गोता] कुश्ती का एक पेंच।
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मछली-डंड  : पुं० [हिं० मछली+डंड] एक प्रकार का डंड। (कसरत)
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मछलीदार  : पुं० [हिं० मछली+दार (प्रत्य०)] दरी की एक प्रकार की बुनावट। वि० जिसमें मछली के आकार-प्रकार की कोई रचना बना या लगी हो।
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मछलीमार  : पुं० [हिं० मछली+मार (प्रत्य०)] मछु्रआ।
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