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मध्यस्थ  : वि० [सं० मध्य√स्था (ठहरना)+क] [भाव० मध्यस्थता] जो बीच या मध्य में स्थित हो। बीच का। पुं० १. वह जो दो विरोधी पक्षों या व्यक्तियों के बीच में पड़कर उनका झगड़ा या विवाह निपटाता हो। आपस में मेल या समझौता करानेवाला व्यक्ति (मीडियेटर)। २. वह जो दो दलों या पक्षों के बीच में रहकर उनके पारस्परिक व्यवहार या लेन-देन में कुछ सुभीते उत्पन्न करके स्वयं भी कुछ लाभ उठाता हो (मिडिलमैन)। जैसे—उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच में व्यापारी, अथवा राज्य और कृषकों के बीच में जमींदार आदि। ३. वह जो दोनों विरोधी पक्षों में से किसी पक्ष में न हो। उदासीन। ४. वह जो अपनी हानि न करता हुआ दूसरों का उपकार करता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मध्यस्थता  : स्त्री० [सं० मध्यस्थ+तल्—टाप्] मध्यस्थ होने की अवस्था या भाव (मीडिएशन)। २. मध्यस्थ का काम और पद।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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