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मल्ला  : स्त्री० [सं० मल्ल+टाप्] १. स्त्री। २. मल्लिका। चमेली। २. पत्र-वल्ली नाम की लता। पुं० [देश] १. करघे में के हत्थे का ऊपरी भाग जिसे पकड़कर हत्था चलाया जाता है। २. एक प्रकार का लाल रंग जो कपड़े को लाल या गुलाबी रंग के माठ में बचे हुए रंग में डुबाने से आता है।
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मल्लार  : पुं० [सं० मल्ल√ऋ (प्राप्त होना)+अण्] वर्षा ऋतु में गाया जानेवाला एक प्रसिद्ध राग। मलार।
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मल्लारि  : पुं० [सं० मल्लअरि, ष० त०] १. कृष्ण। २. शिव। स्त्री०=मल्लारी।
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मल्लारी  : स्त्री० [सं० मल्लार+ङीष्] वर्षाऋतु में सवेरे के समय गायी जानेवाली एक रागिनी।
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मल्लाह  : पुं० [अ०] [स्त्री० मल्लाहिन, भाव, मल्लाही] वह जो नदी में नाव खेकर अपनी जीविका अर्जित करता हो। केवट। माँझी।
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मल्लाही  : वि० [फा०] मल्लाह सम्बन्धी। मल्लाह का। स्त्री०१. मल्लाह होने की अवस्था या भाव। २. मल्लाह का कार्य, पेशा या पद। ३. तैरने के समय दोनों हाथ चलाने का एक विशेष ढंग। ४. उक्त ढंग से की जानेवाली तैराई। ५. मल्लाहों की तरह की गंदी और भद्दी गालियाँ। उदाहरण—उन्होंने घूर-घूर कर लड़कियों को मल्लाही सुनाना शुरू किया।—अजीम बेग चुगताई। क्रि० प्र०—सुनाना।
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