शब्द का अर्थ
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माँस :
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अव्य०=में। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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मांस :
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पुं० [सं०√मन् (ज्ञान)+स] [वि० मांसल] १. मनुष्यों तथा जीव-जन्तुओं के शरीर का हड्डी, नस, चमड़ी, रक्त आदि से भिन्न अंश जो रक्त वर्ण का तथा लचीला होता है। आमिष। गोश्त। पद—मांस का घी=चरबी। २. कुछ विशिष्ट पशु-पक्षियों का मांस जिसे मनुष्य खाद्य समझता है। जैसे—बकरे या मुर्गे का मांस। पुं० =मास (महीना)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मांसकारी (रिन्) :
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पुं० [सं० मांस√कृ+णिनि] रक्त। लहू। |
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मांस-कीलक :
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पुं० [ष० त०] बवासीर का मसा। |
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मांसखोर :
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वि० [सं० मांस+फा० खोर] [भाव० मांसखोरी] मांसाहारी। मांस खानेवाला। |
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मांस-ग्रंथि :
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स्त्री० [ष० त०] शरीर के विभिन्न अंगों में निकलने वाली मांस की गाँठ। |
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मांसज :
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वि० [सं० मांस√जन् (उत्पन्न होना)+ड] मांस से उत्पन्न होनेवाला। पुं० चरबी जो मांस से उत्पन्न होती है। |
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मांस-तेज (स्) :
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पुं० [ब० स०] चरबी। |
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मांस-धरा :
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स्त्री० [ष० त०] सुश्रुत के अनुसार शरीर की त्वचा की सातवीं तह। स्थूलापार। |
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मांस-पिंड :
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पुं० [ष० त०] १. शरीर। देह। २. मांस का टुकड़ा या लोथड़ा। |
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मांस-पिंड़ी :
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स्त्री० [ष० त०] शरीर के अंदर रहनेवाली मांस की गाँठ। |
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मांस-पेशी :
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स्त्री० [ष० त०] शरीर के अंदर होनेवाली झिल्ली तथा रेशों के आकार का मांस-पिंड जिसका मुख्य कृत्य गति उत्पन्न करना होता है। विशेष—पक्षापात रोग में किसी अंग की मांसपेशियाँ गति उत्पन्न करना बंद कर देती हैं जिसके फलस्वरूप वह अंग हिलाया-डुलाया नहीं जा सकता। |
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मांस-फल :
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पुं० [सं० उपमि० स०] तरबूज। |
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मांस-भक्षी (क्षिन्) :
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वि० [सं० मांस√भक्ष् (खाना)+णिनि] मांस खानेवाला । मांसाहारी। |
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मांसभोजी (जिन्) :
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वि० [सं० मांस√भुज् (खाना)+णिनि] मांसाहारी। |
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मांस-मंड :
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पुं० [सं० ष० त०] उबाले या पकाये हुए मांस का रसा। यखनी। शोरबा। |
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मांस-योनि :
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पुं० [ब० स०] रक्त और मांस से उत्पन्न जीव। |
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मांस-रज्जु :
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स्त्री० [सं० ष० त०] १. सुश्रुत के अनुसार शरीर के अंदर होनेवाले स्नायु जिनसे मांस बँधा रहता है। २. मांस का रसा। शोरबा। |
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मांस-रस :
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पुं० [ष० त०] मांस का रसा। शोरबा। |
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मांसरोहिणी :
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स्त्री० [सं० मांस√रुह् (उत्पन्न होना)+णिच्+णिनि, +ङीष्] एक प्रकार का जंगली वृक्ष। |
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मांसल :
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वि० [सं० मांस+लच्] [भाव० मांसलता] १. (शरीर का कोई अंग) जो मांस से अच्छी तरह भरा हो। २. जिसमें मांस या उसकी तरह के गूदे की अधिकता हो। गुदगुदा। फ्लेशी। ३. मोटा-ताजा। हष्ट-पुष्ट।४. दृढ़। पक्का। मजबूत। पुं० १. गौड़ी रीती का एक गुण। २. उड़द। |
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मांसलता :
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स्त्री० [सं० मांसल+तल्+टाप्] १. मांस से भरे होने की अवस्था या भाव। २. बहुत अधिक मोटे-ताजे तथा हष्ट-पुष्ट होने की अवस्था या भाव। |
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मांस-लिप्त :
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पुं० [तृ० त०] हड्डी। |
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मांस-विक्रयी (यिन्) :
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पुं० [सं० मांस+वि०√क्री+इनि, उपपद, स०] १. वह जो मांस बेचता हो। कसाब। २. वह जो धन के लोभ में अपनी सन्तान किसी के हाथ बेचता हो। |
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मांस-वृद्धि :
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स्त्री० [ष० त०] शरीर के किसी अंग के मांस का बढ़ जाना। जैसे—घेंघा, फील पाँव आदि। |
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मांस-समुद्भवा :
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स्त्री० [सं० ब० स०+टाप्] चरबी। |
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मांस-सार :
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पुं० [ष० त०] शरीर के अन्तर्गत मेद नामक धातु। वि० हष्ट-पुष्ट। मोटा-ताजा। |
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मांस-स्नेह :
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पुं० [ष० त०] चरबी। वसा। |
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मांस-हासा :
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पुं० [ब० स०+टाप्] चमड़ा। |
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मांसाद् :
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वि० [सं० मांस√अद् (खाना)+क्विप्] जो मांस-खाता हो। मांस-भक्षक। पुं० राक्षस। |
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मांसादन :
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पुं० [मांस-अदन, ष० त०] मांस खाने की क्रिया या भाव। |
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मांसादी (दिन्) :
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वि० [सं० मांस√अद्+णिनि] मांस खानेवाला। मांसाहारी। |
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मांसारि :
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पुं० [मांस-अरि, ष० त०] अम्लबेंत। |
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मांसार्गल :
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पुं० [मांस-अर्गल, ष० त०] गले में लटकनेवाला मांस। |
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मांसार्बुद :
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पुं० [मांस-अर्बुद, ष० त०] १. एक प्रकार का रोग जिसमें लिंग पर फुंसियां निकल आती है। २. शरीर के किसी अंग में आघात लगने से होनेवाली वह सूजन जो पत्थर की तरह कड़ी हो जाती है और जिसमें प्रायः पीड़ा नहीं होती। |
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मांसाशन :
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पुं० =मांसादन। वि० =मांसाशी। |
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मांसाशी (शिन्) :
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वि० [सं० मांस√अस् (खाना)+णिनि] जो मांस खाता हो। मांसाहारी। पुं० राक्षस। |
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मांसाष्टका :
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स्त्री० [मांस-अष्टका, मध्य० स०] माघ कृष्णाष्टमी । इस दिन मांस से पिंडदान करने का विधान था। |
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मांसाहारी (रिन्) :
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वि० [सं० मांस+आ√हृ+णिनि] [स्त्री० मांसाहारिणी] मांस का भोजन करनेवाला। मांसभक्षी। |
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माँसी :
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वि० [सं० माष्] माष अर्थात् उड़द के रंग का। पुं० उक्त प्रकार का रंग जो उड़द के दाने के रंग की तरह होता है। |
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मांसी :
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स्त्री० [सं० मांस+अच्+ङीष्] १. जटामासी। २. काकोली। ३. चन्दन का तेल। ४. इलायची। |
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मांसु :
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पुं० मांस। |
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मांसोदन :
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पुं० [सं० मध्य० स०] एक तरह का पुलाव जिसमें मांस के टुकड़े भी डाले जाते हैं। |
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मांसोपजीवी (विन्) :
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वि० [सं० मांस+उप√जीव् (जीना)+णिनि] १. जिसकी जीविका मांस से चलती हो। २. जो मांस बेचकर जीवन निर्वाह करता हो। |
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