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माच  : पुं० [सं० मा√अंच+क] मार्ग। रास्ता। पुं० [सं० मंच या हिं० मचना] मालवा में प्रचलित एक प्रकार का ग्राम्य अभिनय या लोक-नाटक जो खुले मैदान मे खेला जाता है। इसमें प्रायः भाव-संगीत के द्वारा ग्राम्य जीवन की घटनाएं दिखायी जाती है। पुं० =मचान।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
माचना  : अ०-मचना। स०=मचाना।
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माचल  : पुं० [सं० मा√चल् (चलना)+अच्] १. ग्रह। २. बीमारी। रोग। ३. कैदी। बंदी। ४. चोर। वि० [हिं० मचलना] बहुत अधिक चमलनेवाला फलतः हठी। वि० =मचला।
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माचा  : पुं० [सं० मंच] बैठने की पीढ़ी या बड़ी मचिया जो खाट की तरह बुनी होती है। माँचा।
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माचिका  : स्त्री० [सं० मा√अंच् (जाना)+क+कन्+टाप्, इत्व] १. मक्खी। २. अमड़ा या आमड़ा नामक वृक्ष और उसका फल।
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माचिस  : स्त्री० [अं० मैचेस] दीया सलाई।
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माची  : स्त्री० [सं० मंच] १. हल का जुआ। २. बैलगाड़ी में वह स्थान जहाँ गाड़ीवान बैठता है और अपना सामान रखता है। ३. खाट की तरह बुनी हुई बैठने की पीढ़ी। मचिया।
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