शब्द का अर्थ
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मानस :
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वि० [सं० मानस+छ-ईय] १. मन से उत्पन्न। मनोभव। २. मन में सोचा या विचारा हुआ। जैसे—मानस चित्र। क्रि० वि० मन के द्वारा। मन से। पुं० १. आधुनिक मनोविज्ञान में, मनुष्य की वह आंतरिक सत्ता जिसमें अनुभूतियाँ, विचार और संवेदनाएँ होती है। इसी का सबसे अधिक चेतन, परिचित तथा प्रत्यक्ष रूप चेतना कहलाता हैं। मन। (माइंड) विशेष—इसके चेतन, अवचेतन, अतिचेतन आदि कुछ और अंग या पक्ष भी माने गये हैं। २. मन में होनेवाला संकल्प-विकल्प। ३. मानसरोवर। ४. कामदेव। ५. संगीत में एक प्रकार का राग। ६. आदमी। मनुष्य। ७. चर। दूत। ८. शाल्मली द्वीप का एक वर्ष। ९. पुष्कर द्वीप का एक पर्वत। |
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मानसचारी (रिन्) :
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पुं० [सं० मानस√चर् (गति)+णिनि] मानसरोवर के आसपास रहनेवाला हंस। |
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मानसता :
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स्त्री० [सं०] १. मन का भाव या स्थिति। २. वह विशेष स्थिति या वृत्ति जिसके वशवर्ती होकर मनुष्य किसी कार्य या विचार में प्रवृत्त होता है। मनोवृत्ति। (मेन्टैलिटी)। |
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मानस-तीर्थ :
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पुं० [कर्म० स०] ऐसा मन जो राग, द्वेष आदि से बिलकुल रहित हो गया हो। |
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मानस-पुत्र :
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पुं० [सं० कर्म० स०] वह संतान जिसकी उत्पत्ति मात्र इच्छा से हुई हो, शारीरिक सम्भोग से न हुई हो। जैसे—सनक आदि ब्रह्मा के मानस-पुत्र कहे जाते हैं। |
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मानस-पूजा :
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स्त्री० [सं० कर्म० स०] पूजा के दो प्रकारों में से वह जिसमें मन से ही सब कृत्य किये जाते हैं, लौकिक उपचारों या साधनों का साहार नहीं लिया जाता है। |
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मानसर :
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पुं० =मानसरोवर। |
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मानसरोवर :
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पुं० [सं० मानस-सरोवर] १. तिब्बत के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध झील जो कैलास पर्वत के नीचे हैं और जो बहुत पवित्र तथा बड़े तीर्थों में मानी जाती है। २. हठयोग में सहस्रार चक्र जिसे कैलास भी कहते हैं और इसी दृष्टि से जिसमें उस भाव सरोवर की भी कल्पना की गयी जिसमें निर्लिप्त चित्तरूपी हंस विहार करता है। |
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मानस-विज्ञान :
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पुं० [सं० कर्म० स०] वह विज्ञान या शास्त्र, जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि मनुष्य का मन किस प्रकार अपने काम करता है। (मेन्टल साइन्स)। |
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मानस-व्रत :
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पुं० [सं० मध्य० स०] अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य आदि व्रत जिनका पालन मन से ही होता है। |
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मानस-शास्त्र :
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पुं० [सं० मध्य० स०] मनोविज्ञान। |
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मानस-संन्यासी (सिन्) :
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पुं० [सं० कर्म० स०] दशनामी संन्यासियों का एक उपभेद। |
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मानस-सर (स्) :
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पुं० [सं० कर्म० स०] मानसरोवर। |
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मानस-हंस :
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पुं० [सं० कर्म० स०] एक प्रकार का वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में स, ज, ज, भ, र होता है। इसे मानहंस तथा रणहंस भी कहते हैं। |
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मानसालय :
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पुं० [सं० मानस-आलय, ब० स०] हंस। |
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मानसिक :
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वि० [सं० मानस+ठक्—इक] १. मन की कल्पना से उत्पन्न। २. मन में होने या मन से संबंध रखनेवाला। जैसे—मानसिक रोगी, मानसिक कष्ट। ३. जिसमें सोच-विचार तथा मनन की अधिक अपेक्षा हो। (शारीरिक से भिन्न)। जैसे—मानसिक कार्य। पुं० विष्णु का एक नाम। |
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मानसिक-चिकित्सालय :
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पुं० [सं० कर्म० स०] वह चिकित्सालय जहाँ पर मानसिक रोगियों का उपचार किया जाता है। (मेन्टल हॉस्पिटल)। |
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मानसिकी :
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स्त्री०=मानस-विज्ञान। (मनोविज्ञान)। |
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मानसी :
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स्त्री० [सं० मानस+ङीप्] १. वह पूजा जो मन ही मन की जाय। मानसपूजा। २. एक विद्या देवी का नाम। वि० =मानसिक। |
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मानसी-गंगा :
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स्त्री० [सं०] ब्रज में गोवर्धन पर्वत के पास का एक सरोवर। |
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मानसूत्र :
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पुं० [सं० कर्म० स०] करघनी। |
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मानसून :
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पुं० दे० ‘मानसून’। |
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