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शब्द का अर्थ

मितंग  : पुं० = मतंग (हाथी)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मित  : वि० [सं० √मा+क्त] १. नपा-तुला। २. सीमित। ३. जितना चाहिए उतना ही, उससे अधिक नहीं। ४. कम। थोड़ा। जैसे—मित-भाषी। ५. फेंका हुआ। क्षिप्र।
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मितद्रु  : पुं० [सं० मित√द्रु (गति)+कु] समुद्र।
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मित-भाषिणी  : वि० [सं० मित√भाष् (बोलना)+ णिनि+ङीषम] संगीत में काफी ठाठ की एक रागिनी।
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मितभाषी (षिन्)  : वि० [सं० मित√भाष् +णिनि] [स्त्री० मित-भाषिणी] अपेक्षया कम तथा आवश्यकतानुसार बोलनेवाला। ‘बकवादी’ का विरुद्धार्थक।
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मित-मति  : वि० पुं० [सं० ब० स०] अल्प-बुद्धि।
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मित-विक्रय  : पुं० [सं० ष० त०] तौल या नाप कर पदार्थ बेचना। (कौ०)
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मित-व्यय  : वि० [ब० स०] [भाव० मितव्ययता] कम खर्च करनेवाला अथवा आवश्यकता से अधिक खर्च न करनेवाला। मितत्ययी। पुं० १. जितना चाहिए उतना ही खर्च करना, अधिक न करना। २. थोड़े खर्च में काम चलाना।
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मितव्ययता  : स्त्री० [मितव्यय+तल्+टाप्] मितव्यय होने की अवस्था या भाव। कम-खर्ची।
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मितव्ययी  : वि० [सं० मित मय] कम या थोड़ा खर्च करनेवाला। किफायत करनेवाला।
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मिताई  : स्त्री० [हिं० मीत +आई (प्रत्य०)] मित्रता। दोस्ती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मिताक्षर  : वि० [सं० मित-अक्षर, ब० स०] संक्षिप्त। लघु।
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मिताक्षरा  : स्त्री० [सं० मिताक्षर+टाप्] याज्ञवल्क्य स्मृति की विज्ञानेश्वर टीका।
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मितार्थ  : पुं० = मितार्थक।
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मितार्थक  : पुं० [सं० मित-अर्थ, ब० स०+कप्] साहित्य में तीन प्रकार के दूतों में से एक प्रकार का दूत। ऐसा दूत जो थोड़ी बातैं करके ही अपना काम निकाल लेता हो।
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मिताशन  : पुं० [सं० मित-अशन, कर्म० स०] १. कम या थोड़ा भोजन करना। २. अल्पाहार।
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मिताशी (शिन्)  : वि० [सं० मति√अश् (खाना)+णिनि] [स्त्री मिताशिनी] अल्प आहार करनेवाला।
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मिताहार  : पुं० [सं० मित-आहार, कर्म, स०] परिमित या थोड़ा भोजन करना। कम खाना। वि० [ब० स०]—मिताहारी
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मिताहारी (रिन्)  : वि० [सं० मिताहार+इनि] थोड़ा और परिमित भोजन करनेवाला। कम खानेवाला।
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मिति  : स्त्री० [सं०√मा (मान)+क्तिन] १. नाप-जोख या उससे निकलनेवाला फल। परिणाम। मान। २. क्षारमिति। (ज्योमिति) ३. सीमा। हद। ४. नियम, मर्यादा आदि का बंधन। उदा०—कोउ न रहत मिति-मानि।—सूर। स्त्री०+मिती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मिती  : स्त्री० [सं० मिति] १. चांद्र मास के किसी पक्ष अथवा सौर मास की तिथि या तारीख। मुहा० मिती चढ़ाना=बही-खाते में किसी दिन का हिसाब लिखने से पहले ऊपर मिती लिखना। (महाजन) मिती-पूजना=हुंडी के भुगतान का नियत समय पूरा होना। जैसे—इस हुंडी की मिती पूजे दो दिन हो गये, पर रुपया नहीं आया। २. दिन। दिवस। जैसे—चार मिती का ब्याज अभी आपकी ओर निकलता है। ३. वह तिथि जब तक का ब्याज देना हो। जैसे—इस हुंडी की मिती में अभी चार दिन बाकी हैं। (महाजन) मुहा०—मिती काटना=हिसाब में जितने दिनो का सूद देय या प्राप्त न हो, उतने दिनों का ब्याज काटना या वाद करना।
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मिती काटा  : पुं० [हिं० मिती+काटना] १. हुंडी की मिती पूजने से पहले रुपया चुकाने पर अवधि के शेष दिनों का ब्याज काटने की किया। (महाजन) २. ब्याज या सूद लगाने की वह भारतीय महाजनी प्रणाली जिसमें प्रत्येक रकम का सूद उसकी अलग-अलग मिती से एक साथ जोड़ा जाता है।
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मित्तर  : पुं० [सं० मित्र] १. मित्र। दोस्त। २. लड़कों के खेल में वह लड़का जो सब का अगुआ होता है।
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मित्र  : पुं० [सं०√मि०+क्त्र] [भाव० मित्रता] १. वह प्राणी जिससे अधिक मेल-जोल हो और जो समय-कुसमय पर साथ देता और सहायता करता हो। सुखा। सहद। दोस्त। २. भारतीय आर्यो के एक प्रसिद्ध वैदिक देवता। ३. बारह आदित्यों में से पहला आदित्य। ४. सूर्य। ५. युद्ध मे साथ देनेवाला राष्ट्र।
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मित्रकृत्  : पुं० [सं० मित्र√कृ (करना)+क्विप्, तुक्] पुराणानुसार बारहवें मनु के एक पुत्र का नाम।
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मित्र-घात  : पुं० [सं० ष० त०] १. मित्र की हत्या। २. मित्र के साथ किया जानेवाला धोखा।
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मित्रघ्न  : वि० [सं० मित्र√हन् (मारना)+टक्-कुत्व] जिसने अपने मित्र को दगा दिया हो। विश्वासघाती।
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मित्रता  : स्त्री० [सं० मित्र+तल्+टाप्] मित्र होने की अवस्था, धर्म या भाव। दोस्ती।
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मित्रत्व  : पुं० [सं० मित्र+त्व] मित्रता। दोस्ती।
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मित्रदेव  : पुं० [सं०] १. बारहवें मनु के एक पुत्र का नाम। २. बारह आदित्यों में से एक।
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मित्र-पंचक  : पुं० [सं० ष० त०] घीं, शहद, घुँघची, सुहागा और गुग्गुल, इन पाँचों का समहार। (वैद्यक)
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मित्र-प्रकृति  : पुं० [सं० ब० स०] विजेता के चारों ओर रहनेवाले मित्र राष्ट या राजा। (कौ०)
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मित्र-भाव  : पुं० [सं० ष० त०] मित्रता का भाव। दोस्ती।
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मित्र-भेद  : पुं० [सं० ष० त०] मित्रता टूटना।
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मित्र-रंजनी  : स्त्री० [सं० ष० त०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।
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मित्रवन  : पुं० [सं०] पंजाब के मुलतान नामक नगर का प्राचीन नाम।
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मित्रवान् (वत्)  : वि० [सं० मित्र+मतुप्, वत्व] [स्त्री० मित्रवती] जिसका कोई मित्र हो। मित्रवाला। पुं० १. मनु के एक पुत्र का नाम। २. श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम।
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मित्रविंद  : पुं० [सं० मित्र √विद् (लाभ करना)+श, नुम्] अग्नि।
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मित्रविंदा  : स्त्री० [सं० मित्रविंद+टाप] श्रीकृष्ण की एक पत्नी। (पुराण)
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मित्र-विक्षिप्त  : वि० [सं० सं० त०] मित्र राजा के देश में पड़ी हुई (सेना)। (कौ०)
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मित्रविद्  : पुं० [सं मित्र√विद् (जानना)+क्विप्] गुप्तचर। जासूस।
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मित्र-सप्तमी  : स्त्री० [सं० ष० त०] मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी।
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मित्रसह  : पुं० [सं० मित्र√सह् (सहना)+ अच्] कल्याषपाद राजा का एक नाम।
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मित्रसेन  : पुं० [सं०] १. बारहवें मनु के एक पुत्र का नाम। २. श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम। ३. एक बुद्ध का नाम।
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मित्रा  : स्त्री० [सं० मित्र+टाप्] १. मित्र नामक वैदिक देवता की स्त्री का नाम। २. शत्रुघ्न की माता, सुमित्रा।
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मित्राई  : स्त्री०=मित्रता। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मित्राक्षर  : पुं० [सं० मित्र-अक्षर, ब० स०] वह छंद जिसके दोनों चरणों की तुक मिलती हो।
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मित्रावरुण  : पुं० [सं० द्व० स०, आ-आदेश] मित्र और वरुण नामक वैदिक देवता।
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मित्रिमा  : स्त्री० दे० ‘मापांक’।
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मित्री  : स्त्री० [सं० मित्र+ङीष्] सुमित्रा।
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