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मुट्ठी  : स्त्री० [सं० मुठरिका, प्रा० मुट्ठिआ] १. हथेली की वह मुद्रा या स्थिति जिसमें उँगलियाँ अन्दर की ओर मोड़कर जोर से बंद कर ली जाती है। पद—बँधी मुट्ठी=ऐसी स्थिति जिसमें भीतरी रहस्य और लोगों पर प्रकट न हो सकता हो। जैसे—अभी तो घर की बँधी मुट्ठी है, पर चारो भाई अलग हों जायँगे, तब सबका परदा खुल जायगा अर्थात् सबकी भीतरी स्थिति का पता लग जायगा। मुहावरा—(किसी को) मुट्ठी गरम करना=किसी को संतुष्ट या प्रसन्न करने के लिए चुपचाप उसके हाथ में कुछ रुपये रखना। (किसी की) मुट्ठी में होना=पूरी तरह से अधिकार या कब्जे में होना। जैसे—उसकी चोटी हमारी मुट्ठी में है, वह कहाँ जा सकता है। २. उतनी वस्तु जितनी उपरोक्त मुद्रा के समय हाथ में आ सके। जैसे—एक मुट्ठी आटा साधू को दे दो। ३. उक्त स्थिति में लाई हुई हथेली के बराबर का विस्तार जिसका प्रयोग ऊँचाई, लंबाई आदि नापने के लिए होता है। जैसे—इसका किनारा मुट्ठी भर और ऊँचा होना चाहिए। ४. किसी के शरीर के थकावट, दरद आदि दूर करने के लिए उसके अंगों को बार-बार मुट्ठी में पकड़कर दबाने की क्रिया। चंपी। ५. बच्चों की चुसनी जिसे वे मुट्ठी में पकड़कर प्रायः चूसते रहते हैं। ६. घोड़े का दुम और टखने के बीच का भाग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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