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मेंड़  : स्त्री० [हिं० डाँड़ का अनु० या सं० मण्डल] १. ऊँची उठी हुई तंग जमीन जो दूर तक लकीर के रूप में चली गयी हो। २. दो खेतों के बीच की कुछ ऊँची उठी हुई सँकरी जमीन जो उनकी सीमा की सूचक होती है और जिस पर लोग आते-जाते हैं। डाँड़। पगडंडी। ३. आड़। रोक। उदाहरण—तुम्ह नल नील मेंड़देनिहारा।—जायसी। ४. मर्यादा। उदाहरण—अस सम मेंड़नि कौं मति खोवहु।—सूर।
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मेंड़क  : पुं० =मेंढ़क।
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मेंड़-बन्दी  : स्त्री० [हिं० मेंड़+बाँधना] मेंड़ बनाने का काम।
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मेंड़री  : स्त्री० हिं० मेड़री का स्त्री, अल्पा। स्त्री० [?] चक्की के चारों ओर का वह स्थान जहाँ आटा पिसकर गिरता है।
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