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रबड़  : पुं० [अं० रबर] १. एक प्रकार का वृक्ष जो वट वर्ग के अन्तर्गत और जिसका सुखाया हुआ दूध इसी नाम से प्रसिद्ध है। २. उक्त दूध से बना हुआ एक प्रसिद्ध लचीला पदार्थ जिससे गेंद, फीते आदि बहुत सी चीजें बनती हैं। स्त्री० [हिं० रगड़ा] १. बहुत अधिक परिश्रम। रगड़ा। २. व्यर्थ का श्रम। फजूल की हैरानी। क्रि० प्र०—खाना।—पड़ना। ३. रास्ते की ऐसी चक्करदार दूरी जिसमें परिश्रमपूर्वक बहुत चलना पड़ता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
रबड़-छंद  : पुं० [हिं०+सं०] कविता का ऐसा छंद जिसमें मात्राओं आदि की गिनती का कुछ विचार न हो। (व्यंग्य)
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रबड़ना  : स० [हिं० रपटना या सं० वर्तन, प्रा० वहन] १. घुमाना-फिराना। चलाना। २. किसी तरल पदार्थ में कोई वस्तु (करछी आदि) डालकर चारों ओर चलाना या फेरना। फेंटना। ३. किसी से बहुत अधिक परिश्रम कराना। अ० घूमना-फिरना। स०=रगड़ना।
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रबड़ी  : स्त्री० [प्रा० रब्बा=अवलेह] गाढ़ा किया हुआ दूध का लच्छेदार रूप। बसौधी।
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