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रम्य  : वि० [सं० रम्+यत्] [स्त्री० रम्या] १. जिसमें मन रमण करता या कर सकता हो। रमणीय। २. मनोहर। सुन्दर। रमणीक। पुं० १. चंपा का पेड़। २. अगस्त का पेड़। ३. परवल की जड़। ४. पुरुष का वीर्य। शुक्र। ५. वायु के सात भेदो में से एक।
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रम्यक  : पुं० [सं० रम्य+कन्] १. जंबूद्वीप का एक खंड। (पुराण) २. महानिंब बकायन।
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रम्य-पुष्प  : पुं० [ब० स०] सेमल का पेड़।
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रम्य-फल  : पुं० [ब० स०] कुचला।
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रम्य-श्री  : पुं० [ब० स०] विष्णु।
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रम्य-सानु  : पुं० [कर्म० स०] पहाड़ के शिखर पर की समस्त भूमि। प्रस्थ।
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रम्या  : स्त्री० [सं० रम्य+टाप्] १. रात। २. गंगा नदी। स्थल-पद्मिनी। ४. महेन्द्र-वारुणी। इंद्रायन। ५. लक्षणा नामक कंद। ६. मेरु की एक कन्या जो रम्य को ब्याही थी ७. संगीत में एक प्रकार की रागिनी। ८. संगीत में धैवत स्वर की तीन श्रुतियों में से अंतिम श्रुति का नाम।
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रम्यामली  : स्त्री० [सं० रम्या-आमली, कर्म० स०] भुँई आँवला।
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