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रस्सा  : पुं० [सं० रसना, प्रा० रसणा, हिं० रसना] [स्त्री० अल्पा० रस्सी] १. मूँज, सन आदि का बटा हुआ तथा मोटा रूप। पद—रस्सा-कशी। २. जमीन की एक नाप जो ७५ हाथ लंबी और ७५ हाथ चौड़ी होती है। इसी को बीघा कहते हैं। पुं० [हिं० रसना=बहना] घोड़े के पैरों में होनेवाला एक प्रकार का रोग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
रस्सा-कशी  : स्त्री० [हिं०+फा०] १. एक प्रकार का व्यायाममूलक खेत जिसमें दो प्रतियोगी दल पंक्ति बाँधकर एक दूसरे के पीछे खड़े हो जाते हैं, और एक रस्सा पकड़कर अपनी-अपनी ओर खींचने का प्रयत्न करते हैं। २. लाक्षणिक रूप में, आपस में होनेवाली खींचातानी या प्रतियोगिता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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