शब्द का अर्थ
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रोग :
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पुं० [सं०√रुज् (हिंसा)+घञ्] [वि० रोगी, रुग्ण] १. वह अवस्था जिससे शरीर का स्वास्थ्य बिगड़ जाय और जिसके बढ़ने पर शरीर के समाप्त हो जाने की आशंका हो। बीमारी। मर्ज। व्याधि। जैसे—(क) जीव-जन्तुओं, वनस्पतियों आदि में सैकड़ों प्रकार के रोग होते हैं। (ख) जान पड़ता हि कि इस पेड़ को कोई रोग हो गया है। २. शरीर में उत्पन्न होनेवाला कोई ऐसी घातक या नाशक विकार जो कुछ विशिष्ट कारणों से उत्पन्न होता है, और जिसके कुछ विशिष्ट लक्षण होते हैं। बीमारी। मर्ज। (डिजीज) जैसे—दमा (या लकवा) बहुत बुरा रोग है। ३. कोई ऐसी बुरी आदत, चीज या बात जो आगे चलकर कष्टप्रद या हानिकारक सिद्ध हो जैसे—तमाकू बीडी या सिगरेट की आदत भी एक रोग ही हैं। क्रि० प्र०—लगना।—लगाना।—होना। मुहावरा—रोग पालना=जान-बूझकर कोई मुसीबत मोल लेना या आदत डालना। |
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समानार्थी शब्द-
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रोग-काष्ठ :
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पुं० [सं० मध्य० स०] बक्कम की लकड़ी। |
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रोग-ग्रस्त :
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वि० [सं० तृ० त०] जिसे कोई रोग लगा हो। रोग से पीड़ित। बीमारी में पड़ा हुआ। |
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रोगन :
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पुं० [फा० रौगन] १. कोई गाढ़ा और चिकना तरल पदार्थ। जैसे—घी चरबी, तेल आदि। २. तेल, लाख आदि का बना हुआ पक्का रंग जो चीजों पर चमक आदि लाने के लिए चढ़ाया जाता है। जैसे—मिट्टी के बरतनों पर लगाया जानेवाला रोगन। ३. आज-कल कोई ऐसा रासायनिक लेप जिसे लगाने से चीजें धूप, वर्षा आदि के प्रभाव से रक्षित रहती और चिकनी होकर चमकने लगती है वारनिश। ४. चमडे़ को मुलायम करने के लिए कुसुम या बर्रे के तेल से बनाया हुआ एक प्रकार का मसाला। |
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रोगनदार :
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वि० [फा०] जिस पर रोगन किया गया हो। चमकीला। |
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रोग-नाशक :
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वि० [सं० ष० त०] बीमारी दूर करनेवाला। |
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रोग-निदान :
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पुं० [सं० ष० त०] रोग के लक्षण, उत्पत्ति के कारण आदि की पहचान। तशखीस। (डायगनोसिस) |
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रोगनी :
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वि० [फा०] १. रोगन किया हुआ। २. जिस पर रोगन पोता या लगाया गया हो। रोगनदार। जैसे—रोगनी बरतन। ३. जिसमें रोगन चुपड़ा, मिलाया या लगाया गया हो। जैसे—रोगनी रोटी। |
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रोग-परीसह :
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पुं० [सं० ष० त०] उग्र रोग होने पर कुछ ध्यान न करके चुप-चाप कष्ट सहने की वृत्ति या व्रत। |
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रोग-विज्ञान :
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पुं० [सं०] आधुनिक चिकित्सा शास्त्र की वह शाखा, जिसमें रोग की प्रकृति या स्वरूप और उसके कारण होनेवाले शारीरिक विकारों आदि का विवेचन होता है (पैथॉलोजी)। |
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रोग-शिला :
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स्त्री० [सं० च० त०] मनःशिला। मैनसिल। |
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रोगाक्रांत :
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वि० [सं० रोग-आक्रांत, ष० त०] रोग से ग्रस्त। ब्याधि से पीड़ित। |
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रोगाणु :
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पुं० [सं० रोग-अणु, ष० त०] वे दूषित या विषाक्त अणु जो शरीर में पहुँचकर अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं, अथवा कुछ अवस्थाओं में पदार्थों में खमीर उठाते हैं। जीवाणु। (बैक्टीरिया) |
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रोगातुर :
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वि० [सं० रोग-आतुर, तृ० त०] रोग से घबराया हुआ। व्याधि से पीड़ित। |
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रोगार्त्त :
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वि० [सं० रोग-आर्त्त, तृ० त०] रोग से दुःखी। |
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रोगिणी :
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वि० ‘रोगी’ का स्त्री०। |
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रोगित :
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वि० [सं० रोग+इतच्] जिसे रोग हुआ हो। रोग-युक्त। रोगी। पुं० कुत्ते को होनेवाला पागलपन। |
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रोगिया :
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पुं० [हिं० रोग+इया (प्रत्यय)] रोगी। बीमार। |
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रोगी (गिन्) :
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वि० [सं०√रुज् (हिंसा)+घिनुण] [स्त्री० रोगिणी] जिसे कोई रोग हुआ हो। रोगयुक्त। अस्वस्थ। बीमार। |
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रोगनी :
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वि० =रोगनी। |
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