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शब्द का अर्थ

लंगर  : वि० [?] १. नटखट। २. दुष्ट। पाजी।
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लंगर  : पुं० [फा० मि० अं० एन्कर] १. लोहे का बना हुआ एक प्रकार का बहुत बड़ा काँटा जिसे नदी, समुद्र आदि में गिराकर नाव, जहाज आदि रोके जाते हैं। पद—लंगरगाह। मुहावरा—लंगर उठाना=जहाज या नाव का लंगर उठाकर चलने को तैयार होना। लंगर छोड़ना, डालना या फेंकना=जहाज या नाव ठहराने अथवा रोकने के लिए लंगर गिराना। २. लकड़ी का वह कुंदा जो किसी हरहाये पशु विशेषतः गौ के गले में रस्सी से इसलिए बाँध दिया जाता है कि वह भागकर दूर न जा सके। ठेंगुर। ३. लोहे में इसलिए बाँधी जाती थी कि वे भाग न सकें। क्रि० प्र०—डालना। पड़ना। ४. रस्सी तार आदि से बाँधी और लटकती हुई कोई भारी चीज, जिसका व्यवहार कई प्रकार की कलों में उनकी गति ठीक रखने के लिए होता है। क्रि० प्र०—चलना।—चलाना। ५. जहाजों पर काम आनेवाला बड़ा और मोटा रस्सा। ६. बागडोर। लगाम। ७. चाँदी का बना हुआ तोड़ा जो पैर में पहना जाता है। ८. किसी चीज के नीचे का भारी और मोटा अंग का अंश। ९. कमर के नीचे का भाग। १॰. पहलवानों के पहनने का लँगोटा। मुहावरा—लंगर बाँधना=पहलवान बनने के उद्देश्य से कसरत करना और कुश्ती लड़ना। ११. वह उभरी हुई रेखा, जो अंडकोश के नीचे के भाग से आरम्भ होकर गुदा तक जाती है। सीयन। सीवन। १२. अंडकोष (बाजारू)। १३. कपड़े की सिलाई में वे टाँके, जो दूर-दूर इसलिए डाले जाते हैं जिसमें मोड़ा हुआ कपड़ा अथवा एक साथ सिये जानेवाले पल्ले अपने स्थान से हट जायँ। इस प्रकार के टाँके पक्की सिलाई के पूर्व डाले जाते हैं, इसलिए इसे कच्ची सिलाई भी कहते हैं। क्रि० प्र०—डालना।—भरना। १४. वह स्थान जहाँ बहुत लोगों को भोजन एक साथ पकता है। १५. वह पका हुआ भोजन जो प्रायः नित्य किसी निश्चित समय पर आगंतुकों, दरिद्रों आदि को बाँटा जाता है। पद—लंगर खाना। क्रि० प्र०—देना।—बाँटना।—लगाना। १६. ऐसा व्यक्ति या स्थान जिसके द्वारा किसी को संकट के समय आश्रय मिलता हो। वि० जिसमें अधिक बोझ हो। भारी वजनी। वि० लँगर (दुष्ट और पाजी)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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लँगरई  : स्त्री० [हिं० लँगर] लँगर (अर्थात् दुष्ट या पाजी) होने की अवस्था या भाव। नटखटी। पाजीपन। शरारत। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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लंगरखाना  : पुं० [फा०] वह स्थान जहाँ आगन्तुकों या दरिद्रों को बना-बनाया भोजन बाँटा जाता हो।
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लंगर-गाह  : पुं० [फा०] किनारे पर का वह स्थान जहाँ लंगर डालकर जहाज ठहराये जाते हैं। बन्दरगाह। विशेष—यद्यपि फा में गाह (जगह) स्त्री ही है फिर भी हिन्दी में उससे बने हुए बन्दरगाह, लंगरगाह आदि शब्द प्रायः पुं० रूप में ही प्रचलित हैं।
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लँगराई  : स्त्री० [हिं० लंगर+आई (प्रत्यय)] लंगर अर्थात् दुष्ट या पाजी होने की अवस्था, क्रिया या भाव। नटखटी। शरारत।
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लँगराना  : अ०=लँगड़ाना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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लँगरैया  : स्त्री० =लँगराई।
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