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लगाम  : स्त्री० [फा०] १. जोते जानेवाले घोड़े के मुँह में लगाया जानेवाला एक प्रकार का अर्ध चंद्राकार ढाँचा जिससे रासें बँधी होती है। क्रि० प्र०—चढ़ाना।—लगाना। मुहावरा—जबान या मुँह में लगाम न होना=बिना सोचे-समझे बकने की आदत होना। २. बाग। रास। मुहावरा—(किसी के पीछे) लगाम लिये फिरना=धरने-पकड़ने के उद्देश्य से किसी का पीछा करना। ३. कोई ऐसी चीज या बात जो किसी को नियंत्रण में रखती हो। जैसे—उनकी जबान (या मुँह) में लगाम तो है ही नहीं, अर्थात् वे अपनी बोलचाल पर नियंत्रण नहीं रख सकते। क्रि० प्र०—चढ़ाना।—लगाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
लगामी  : स्त्री० [फा० लगाम+हिं० ई (प्रत्यय)] गाय-भैस, घोड़े, बकरी आदि पशुओं के मुँह पर बाँधी जानेवाली वह जाली जिसके फल-स्वरूप वे कुछ काटने या खाने से वंचित हो जाते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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