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शब्द का अर्थ

लोल  : वि० [सं०√लोड् (विक्षिप्त होना)=अच्, ड-लः] १. हिलता हुआ। कंपायमान। २. चंचल। ३. परिवर्तनशील। ४. क्षणिक। ५. उत्सुक। पुं० १. समुद्र में उठनेवाली बहुत बड़ी तथा ऊँची लहर। २. लिंगेन्द्रिय। स्त्री० [?] चोच।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
लोलक  : पुं० [सं० लोल से] १. नथ, बाली आदि में पिरोया जानेवाला लटकन लरकन। २. कान की लौ। लोलकी। ३. घंटी या घंटे के बीच लगा हुआ वह लरकन जो हिलाने से इधर-उधर टकराकर शब्द उत्पन्न करता है।
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लोल-कर्ण  : वि० [सं० ब० स०] जो हर किसी की बात सुनकर सहज में ही उस पर विश्वास कर लेता हो। कान का कच्चा।
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लोलकी  : स्त्री० [हिं० लोलकी] कान के नीचे का वह कोमल भाग जिसमें छेद करके कुण्डल, बाली आदि पहनते हैं।
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लोल-जिन्ह  : वि० [सं० ब० स०] लालची। लोभी। पुं० साँप।
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लोल-दिनेश  : पुं० [सं० कर्म० स०] लोलार्क।
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लोलना  : अ० [सं० लोल] इधर-उधर लहराना या हिलना-डुलना।
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लोला  : स्त्री० [सं० लोल+टाप्] १. चिह्वा जीभ। २. लक्ष्मी। ३. मधु नामक दैत्य की माता। ४. एक योगिनी। ५. एक प्रकार का वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में मगण, सगण, मगण, भगण और अंत में दो गुरु होते हैं। ६. एक प्रकार का छोटा डंडा जिसके दोनों सिरों पर लट्टू लगे रहते हैं।
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लोलार्क  : पुं० [सं० लोल-अर्क, कर्म० स०] बारह आदित्यों में से एक आदित्य।
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लोलित  : भू० कृ० [सं०√लुल् (विमर्दन)+घञ्, =लोल+इत्] १. हिला या हिलाया हुआ। २. क्षुब्ध।
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लोलिनी  : स्त्री० [सं० लोल+इनि-ङीष्] चंचल या चपल स्त्री।
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लोलुप  : वि० [सं०√लुभ्+यङ्, लुक्, द्वित्वादि+अतच्] [भाव० लोलुपता] लोभी। लालची। २. चटोरा। ३. परम उत्सुक। जैसे—युद्ध लोलुप।
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लोलुपता  : स्त्री० [सं० लोलुप+तल्+टाप्] लोलुप होने की अवस्था या भाव।
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लोलुपत्व  : पुं० [सं० लोलुप+त्व]=लोलुपता।
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