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विशिष्ट  : वि० [सं०] [भाव० विशिष्टता] १. (वस्तु) जिसमें औरों की अपेक्षा कोई बहुत बड़ी विशेषता हो। २. (व्यक्ति) जिसे अन्यों की अपेक्षा अधिक आदर, मान आदि प्राप्त हो या दिया जा रहा हो। ३. अदभुत। ४. शिष्ट। ५. कीर्तिशाली। ६. तेजस्वी। ७. प्रसिद्ध।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
विशिष्टता  : स्त्री० [सं० विशिष्ट+तल्-टाप्] विशिष्ट होने की अवस्था, धर्म या भाव।
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विशिष्टाद्वैत  : पुं० [सं० विशिष्ट+अद्वैत] आचार्य रामनुज (सन् १॰३७-११३७ ईं०) का प्रतिपादित किया हुआ यह दार्शनिक मत कि यद्यपि जगत् और जीवात्मा दोनों कार्यतः ब्रह्म से भिन्न हैं फिर भी वे ब्रह्म से ही उदभूत हैं, और ब्रह्म से उसका उसी प्रकार का संबंध है जैसा कि किरणों का सूर्य से है, अतः ब्रह्म एक होने पर भी अनेक हैं।
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विशिष्टी  : स्त्री० [सं० विशिष्ट+ङीष्] शंकराचार्य की माता का नाम।
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विशिष्टीकरण  : पुं० [सं०] १. किसी काम या बात को कोई विशिष्ट रुप देने की क्रिया या भाव। २. किसी कला, विद्या या शास्त्र में विशिष्ट रूप से प्रवीणता या योग्यता प्राप्त करने की क्रिया या भाव (स्पेशलाइजेशन)।
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