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व्रत-स्नातक  : पुं० [सं० ष० त०+कन्] तीन प्रकार के ब्रह्मचारियों में से वह ब्रह्मचारी जिसने गुरु के यहाँ रहकर व्रत तो समाप्त कर लिया हो पर जो बिना वेद समाप्त किए ही घर लौट आया हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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