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शरह  : स्त्री० [अ०] १. वह कथन या वर्णन जो किसी बात को स्पष्ट करने के लिए किया जाय। अच्छी तरह अर्थात् स्पष्ट और विस्तृत रूप से कुछ कहना। २. व्याख्या। ३. ग्रन्थ की टीका या भाष्य। ४. किसी चीज की बिक्री की दर या भाव। ५. किसी काम या चीज की दर। जैसे—लगान की शरअ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
शरह-बंदी  : स्त्री० [अ० शरह+फा० बन्दी] १. दर या भाव निश्चित करने की क्रिया। २. (मंडी आदि के) भावों की तालिका। स्त्री०=शरअ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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