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शेषराज  : पुं० [सं०] १. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में दो मगण होते हैं। विद्युल्लेखा। २. शेषनाग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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