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संपूरक  : वि० [सं०] १. संपूर्ण या पूरा करने वाला। २. विशेष रूप से किसी पूर्ण वस्तु की उपदेयता, सार्थकता आदि बढाने के लिए उसके अंत में जोड़ा या मिलाया जाने वाला। ‘अनुपूरक’ से भिन्न (काम्प्ली-मेन्टरी)। विशेष—अनुपूरक और संपूरक में मुख्य अंतर यह है कि अनुपूरक तो किसी पूरी चीज के पीछे या बाद में स्वतंत्र इकाई के रूप में जोड़ा या लगा हुआ होता है, परंतु संपूरक किसी चीज या बात का कोई अभाव या कमी पूरी करने के लिए आकर उसमें मिल जाता है। पुं० वह अंश, मात्रा या भाव जो किसी पदार्थ में उसे पूर्ण करने के लिए लगाया जाता हो या लगना आवश्यक होता हो। किसी चीज को पूर्ण बनाने के लिए बाद में जोड़ा जाने वाला अंग। ‘अनुपूरक’ से भिन्न (काम्प्लिमेन्ट)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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