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संसर्गाभाव  : पुं० [ष० त०] १. संसर्ग का आभाव। संबंध का न होना। २. न्यायशास्त्र में आभाव का वह प्रकार या भेद जो संसर्ग न रहने की दशा में माना जाता है। जैसे—यदि घर में घड़ा न हो तो वह संसर्गाभाव माना जायगा। क्योंकि घर में न होने पर भी कहीं बाहर तो घड़ा होगा ही।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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